कुल पेज दृश्य

शनिवार, 14 जून 2025

जून १४, सदोका, दोहा मुक्तिका, भारत, हास्य, बाल गीत, सूरज, आम, गीत, लघुकथा

सलिल सृजन जून १४
*
दोहा सलिला . एक प्रगट हो शून्य से, चित्र गुप्त पहचान। लीन शून्य में सृष्टि हो, एक वही गुणवान।। . दो होकर भी एक हों, अगर नहीं तो सूर। तन-मन नर-नारी सतत, रहें द्वैत से दूर।। . तीन काल संघर्ष कर, जयी करें सुविचार। गत-आगत की फ़िक्र तज, अब सबका आधार।। . चार आश्रम वेद युग, वर्ण धर्म का मर्म। सहज सधे सो साध ले, हो न सख्त रह नर्म।। . पंच तत्व मय देह से, करें काम निष्काम। मन में नित विश्वास रख, भला करेंगे राम।। . षड् रागों को सीखना, खटरागी का ध्येय। ज्ञेय नहीं दिखता कभी, सहज दिखे अज्ञेय।। . सप्त स्वरों से सृजित हों, सरगम-स्वर रस-खान। नीरस वंचित सुखों से, सरस्वती रसवान।। . अआठ भुजा सामर्थ्य की, परिचायक बलवान। अष्ट प्रहर दिन-रात हो, कहें समय गतिवान।। . नौ दु्र्गा नौ शक्तियाँ, सकें सफलता चूम। जोड़-घटा, गुणा-भाग कर, नौ रस की ही धूम।। . दश रथ हैं दस इंद्रियाँ, दस दिश जाएँ व्याप। एक-शून्य चुप कह रहे,निज-पर सब वह आप।। १४.६.२०२५

सदोका सलिला
*
ई​ कविता में
करते काव्य स्नान ​
कवि​-कवयित्रियाँ।
सार्थक​ होता
जन्म निरख कर
दिव्य भाव छवियाँ।१।
*
ममता मिले
मन-कुसुम खिले,
सदोका-बगिया में।
क्षण में दिखी
छवि सस्मित मिले
कवि की डलिया में।२।
*
​न​ नौ नगद ​
न​ तेरह उधार,
लोन ले, हो फरार।
मस्तियाँ कर
किसी से मत डर
जिंदगी है बहार।३।
*
धूप बिखरी
कनकाभित छवि
वसुंधरा निखरी।
पंछी चहके
हुलस, न बहके
सुनयना सँवरी।४।
* ​
श्लोक गुंजित
मन भाव विभोर,
पूज्य माखनचोर।
उठा हर्षित
सक्रिय नीरव भी
क्यों हो रहा शोर?५।
*
है चौकीदार
वफादार लेकिन
चोरियाँ होती रही।
लुटती रहीं
देश की तिजोरियाँ
जनता रोती रही।६।
*
गुलाबी हाथ
मृणाल अंगुलियाँ
कमल सा चेहरा।
गुलाब थामे
चम्पा सा बदन
सुंदरी या बगिया?७।
१४-६-२०२२
***
सामयिक दोहा मुक्तिका:
संदेहित किरदार.....
*
लोकतंत्र को शोकतंत्र में, बदल रही सरकार.
असरदार सरदार सशंकित, संदेहित किरदार..
योगतंत्र के जननायक को, छलें कुटिल-मक्कार.
नेता-अफसर-सेठ बढ़ाते, प्रति पल भ्रष्टाचार..
आम आदमी बेबस-चिंतित, मूक-बधिर लाचार.
आसमान छूती मंहगाई, मेहनत जाती हार..
बहा पसीना नहीं पल रहा, अब कोई परिवार.
शासक है बेफिक्र, न दुःख का कोई पारावार
राजनीति स्वार्थों की दलदल, मिटा रही सहकार.
देश बना बाज़ार- बिकाऊ, थाना-थानेदार..
अंधी न्याय-व्यवस्था, सच का कर न सके दीदार.
काले कोट दलाल- न सुनते, पीड़ित का चीत्कार..
जनमत द्रुपदसुता पर, करे दु:शासन निठुर प्रहार.
कृष्ण न कोई, कौन सकेगा, गीता-ध्वनि उच्चार?
सबका देश, देश के हैं सब, तोड़ भेद-दीवार.
श्रृद्धा-सुमन शहीदों को दें, बाँटें-पायें प्यार..
सिया जनास्था का कर पाता, वनवासी उद्धार.
सत्ताधारी भेजे वन को, हर युग में हर बार..
लिये खडाऊँ बापू की जो, वही बने बटमार.
'सलिल' असहमत जो वे भी हैं, पद के दावेदार..
'सलिल' एक है राह, जगे जन, सहे न अत्याचार.
अफसरशाही को निर्बल कर, छीने निज अधिकार..
***
मैं भारत हूँ
सुमन पुष्पा भी न था, तूफान आया
विनत था हो प्रबल सँग सैलाब लाया
बिजलियाँ दिल पर गिरीं, संसार उजड़े
बेरहम कह सफलता फिर मुस्कुराया
सोचता है जीत मुझको वह लिखेगा
फिर नया इतिहास देवों सम दिखेगा
सदा दानव चाहते हैं अमर होना
मिले सत्ता तो उसे चाहें न खोना
सोच यह लिखती पतन की पटकथा है
चतुर्दिक जातीं बिखर बेबस व्यथा है
मैं भारत हूँ, देखता जन जागता है
देश को ही इष्ट अपना मानता है
आह हो एकत्र, बनती आग सूरज
शिखर होते धूसरित, झट रौंदती रज
मैं भारत हूँ, भाग्य अपना आप लिखता
मैं भारत हूँ, जगत् गुरु फिर श्रेष्ठ दिखता
काल जन को टेरता है जाग जाओ
करो फिर बदलाव भारत को बचाओ
१४-६-२०२१
***
हास्य रचना:
मेरी श्वास-श्वास में कविता
*
मेरी श्वास-श्वास में कविता
छींक-खाँस दूँ तो हो गीत।
युग क्या जाने खर्राटों में
मेरे व्याप्त मधुर संगीत।
पल-पल में कविता कर देता
पहर-पहर में लिखूँ निबंध।
मुक्तक-क्षणिका क्षण-क्षण होते
चुटकी बजती काव्य प्रबंध।
रस-लय-छंद-अलंकारों से
लेना-देना मुझे नहीं।
बिंब-प्रतीक बिना शब्दों की
नौका खेना मुझे यहीं।
धुंआधार को नाम मिला है
कविता-लेखन की गति से।
शारद भी चकराया करतीं
हैं; मेरी अद्भुत मति से।
खुद गणपति भी हार गए हैं
कविता सुन लिख सके नहीं।
खोजे-खोजे अर्थ न पाया
पंक्ति एक बढ़ सके नहीं।
एक साल में इतनी कविता
जितने सर पर बाल नहीं।
लिखने को कागज़ इतना हो
जितनी भू पर खाल नहीं।
वाट्स एप को पूरा भर दूँ
अगर जागकर लिख दूँ रात।
गूगल का स्पेस कम पड़े,
मुखपोथी की क्या औकात?
ट्विटर, वाट्स एप, मेसेंजर
मुझे देख डर जाते हैं।
वेदव्यास भी मेरे सम्मुख
फीके से पड़ जाते हैं।
वाल्मीकि भी पानी भरते
मेरी प्रतिभा के आगे।
जगनिक और ईसुरी सम्मुख
जाऊँ तो पानी माँगे।
तुलसी सूर निराला बच्चन
से मेरी कैसी समता?
अब का कवि खद्योत सरीखा
हर मेरे सम्मुख नमता।
किसमें क्षमता है जो मेरी
प्रतिभा का गुणगान करे?
इसीलिये मैं खुद करता हूँ,
धन्य वही जो मान करे.
विन्ध्याचल से ज्यादा भारी
अभिनंदन
के पत्र हुए।
स्मृति-चिन्ह अमरकंटक सम
जी से प्यारे लगें मुए।
करो न चिता जो व्यय; देकर
मान पत्र ले, करूँ कृतार्थ।
लक्ष्य एक अभिनंदित होना,
इस युग का मैं ही हूँ पार्थ।
१४.६.२०१८
***
बाल गीत
सूरज
*
पर्वत-पीछे झाँके ऊषा
हाथ पकड़कर आया सूरज।
पूर्व प्राथमिक के बच्चे सा
धूप संग इठलाया सूरज।
*
योग कर रहा संग पवन के
करे प्रार्थना भँवरे के सँग।
पैर पटकता मचल-मचलकर
धरती मैडम हुईं बहुत तँग।
तितली देखी आँखमिचौली
खेल-जीत इतराया सूरज।
पूर्व प्राथमिक के बच्चे सा
नाक बहाता आया सूरज।
*
भाता है 'जन गण मन' गाना
चाहे दोहा-गीत सुनाना।
झूला झूले किरणों के सँग
सुने न, कोयल मारे ताना।
मेघा देख, मोर सँग नाचे
वर्षा-भीग नहाया सूरज।
पूर्व प्राथमिक के बच्चे सा
झूला पा मुस्काया सूरज।
*
खाँसा-छींका, आई रुलाई
मैया दिशा झींक-खिसियाई।
बापू गगन डॉक्टर लाया
डरा सूर्य जब सुई लगाई।
कड़वी गोली खा, संध्या का
सपना देख न पाया सूरज।
पूर्व प्राथमिक के बच्चे सा
कॉमिक पढ़ हर्षाया सूरज।
***
लघुकथा:
एकलव्य
- 'नानाजी! एकलव्य महान धनुर्धर था?'
- 'हाँ; इसमें कोई संदेह नहीं है.'
- उसने व्यर्थ ही भोंकते कुत्तों का मुंह तीरों से बंद कर दिया था ?'
-हाँ बेटा.'
- दूरदर्शन और सभाओं में नेताओं और संतों के वाग्विलास से ऊबे पोते ने कहा - 'काश वह आज भी होता.'
***
दोहा सलिला
आम खास का खास है......
*
आम खास का खास है, खास आम का आम.
'सलिल' दाम दे आम ले, गुठली ले बेदाम..
आम न जो वह खास है, खास न जो वह आम.
आम खास है, खास है आम, नहीं बेनाम..
पन्हा अमावट आमरस, अमकलियाँ अमचूर.
चटखारे ले चाटिये, मजा मिले भरपूर..
दर्प न सहता है तनिक, बहुत विनत है आम.
अच्छे-अच्छों के करे. खट्टे दाँत- सलाम..
छककर खाएं अचार, या मधुर मुरब्बा आम .
पेड़ा बरफी कलौंजी, स्वाद अमोल-अदाम..
लंगड़ा, हापुस, दशहरी, कलमी चिनाबदाम.
सिंदूरी, नीलमपरी, चुसना आम ललाम..
चौसा बैगनपरी खा, चाहे हो जो दाम.
'सलिल' आम अनमोल है, सोच न- खर्च छदाम..
तोताचश्म न आम है, तोतापरी सुनाम.
चंचु सदृश दो नोक औ', तोते जैसा चाम..
हुआ मलीहाबाद का, सारे जग में नाम.
अमराई में विचरिये, खाकर मीठे आम..
लाल बसंती हरा या, पीत रंग निष्काम.
बढ़ता फलता मौन हो, सहे ग्रीष्म की घाम..
आम्र रसाल अमिय फल, अमिया जिसके नाम.
चढ़े देवफल भोग में, हो न विधाता वाम..
'सलिल' आम के आम ले, गुठली के भी दाम.
उदर रोग की दवा है, कोठा रहे न जाम..
चाटी अमिया बहू ने, भला करो हे राम!.
सासू जी नत सर खड़ीं, गृह मंदिर सुर-धाम..
***
मुक्तक
पलकें भिगाते तुम अगर बरसात हो जाती
रोते अगर तो ज़िंदगी की मात हो जाती
ख्वाबों में अगर देखते मंज़िल को नहीं तुम
सच कहता हूँ मैं हौसलों की मात हो जाती
१४-६-२०१४
एक गीत
*
छंद बहुत भरमाएँ
राम जी जान बचाएँ
*
वरण-मातरा-गिनती बिसरी
गण का? समझ न आएँ
राम जी जान बचाएँ
*
दोहा, मुकतक, आल्हा, कजरी,
बम्बुलिया चकराएँ
राम जी जान बचाएँ
*
कुंडलिया, नवगीत, कुंडली,
जी भर मोए छकाएँ
राम जी जान बचाएँ
*
मूँड़ पिरा रओ, नींद घेर रई
रहम न तनक दिखाएँ
राम जी जान बचाएँ
*
कर कागज़ कारे हम हारे
नैना नीर बहाएँ
राम जी जान बचाएँ
*
ग़ज़ल, हाइकू, शे'र डराएँ
गीदड़-गधा बनाएँ
राम जी जान बचाएँ
*
ऊषा, संध्या, निशा न जानी
सूरज-चाँद चिढ़ाएँ
राम जी जान बचाएँ
***
नवगीत :
माँ जी हैं बीमार...
*
माँ जी हैं बीमार...
*
प्रभु! तुमने संसार बनाया.
संबंधों की है यह माया..
आज हुआ है वह हमको प्रिय
जो था कल तक दूर-पराया..
पायी उससे ममता हमने-
प्रति पल नेह दुलार..
बोलो कैसे हमें चैन हो?
माँ जी हैं बीमार...
*
लायीं बहू पर बेटी माना.
दिल में, घर में दिया ठिकाना..
सौंप दिया अपना सुत हमको-
छिपा न रक्खा कोई खज़ाना.
अब तो उनमें हमें हो रहे-
निज माँ के दीदार..
करूँ मनौती, कृपा करो प्रभु!
माँ जी हैं बीमार...
*
हाथ जोड़ कर करूँ वन्दना.
अब तक मुझको दिया रंज ना.
अब क्यों सुनते बात न मेरी?
पूछ रही है विकल रंजना..
चैन न लेने दूँगी, तुमको
जग के तारणहार.
स्वास्थ्य लाभ दो मैया को हरि!
हों न कभी बीमार..
****
मुक्तक सलिला
*
कलम तलवार से ज्यादा, कहा सच वार करती है.
जुबां नारी की लेकिन सबसे ज्यादा धार धरती है.
महाभारत कराया द्रौपदी के व्यंग बाणों ने-
नयन के तीर छेदें तो न दिल की हार खलती है..
*
कलम नीलाम होती रोज ही अखबार में देखो.
खबर बेची-खरीदी जा रही बाज़ार में लेखो.
न माखनलाल जी ही हैं, नहीं विद्यार्थी जी हैं-
रखे अख़बार सब गिरवी स्वयं सरकार ने देखो.
*
बहाते हैं वो आँसू छद्म, छलते जो रहे अब तक.
हजारों मर गए पर शर्म इनको आई ना अब तक.
करो जूतों से पूजा देश के नेताओं की मिलकर-
करें गद्दारियाँ जो 'सलिल' पाएँ एक भी ना मत..
*
वसन हैं श्वेत-भगवा किन्तु मन काले लिए नेता.
सभी को सत्य मालुम, पर अधर अब तक सिए नेता.
सभी दोषी हैं इनको दंड दो, मत माफ़ तुम करना-
'सलिल' पी स्वार्थ की मदिरा सतत, अब तक जिए नेता..
*
जो सत्ता पा गए हैं बस चला तो देश बेचेंगे.
ये अपनी माँ के फाड़ें वस्त्र, तन का चीर खीचेंगे.
यही तो हैं असुर जो देश से गद्दारियाँ करते-
कहो कब हम जागेंगे और इनको दूर फेंकेंगे?
*
तराजू न्याय की थामे हुए हो जब कोई अंधा.
तो काले कोट क्यों करने से चूकें सत्य का धंधा.
खरीदी और बेची जा रही है न्याय की मूरत-
'सलिल' कोई न सूरत है न हो वातावरण गन्दा.
*
१४-६-२०१०

गुरुवार, 12 जून 2025

श्री लंका भ्रमण २७ अगस्त २०२५ - ३१ अगस्त २०२५

साहित्यिक-सांस्कृतिक शोध संस्थान मुंबई-विश्व वाणी हिंदी संस्थान जबलपुर 

रामायण-रामलीला, सिंहली-हिंदी का सांस्कृतिक संदर्भ अंतर्राष्ट्रीय सेमीनार 27 अगस्त 2025 कोलंबो
Ramayana Trails (Religious Tour) -5 Nights &6 Days
UL 142 27AUG 3 BOM-CMB 0310-0540 UL 141 31AUG 7 CMB-BOM 2340-0210(+1) 

उड़ान विवरण:
✈ प्रस्थान: UL 142 – 27 अगस्त 2025, मुंबई से कोलंबो, 03:10 AM → 05:40 AM
✈ वापसी: UL 141 – 31 अगस्त 2025, कोलंबो से मुंबई , 11:40 PM → 02:10 AM (+1)

पैकेज शुल्क (प्रति व्यक्ति) विवरण

पंजीकरण शुल्क (वापिसी नहीं ) ₹11,000 अंतिम तिथि 15-06 -2025 2 + यात्रा खर्च ₹62,500 अंतिम तिथि 30-07-2025 = कुल खर्च ₹73,500 (नोट - स्थान सीमित, पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर। शीघ्र पंजीकरण कराइए। विलंब होने पाए शुल्क वृद्धि संभावित है।) 
संपर्क सूत्र : आचार्य संजीव वर्मा ''सलिल'' 9425183244
यात्रा विवरण:  
पहला दिन : 27 अगस्त 2025- कोलंबो आगमन होटल प्रस्थान, अंतर्राष्ट्रीय सेमीनार सिंहली और हिंदी का सांस्कृतिक अवलोकन। स्वामी चंद्र शेखर द्वारा निर्मित श्री लंका के प्रथम हनुमान मंदिर ''पंचमुगा आंजनेयर मंदिर कोलंबो'' में दिव्य दर्शन।  रात्रि भोज, विश्राम। 
दूसरा दिन : 28 अगस्त 2025- कोलंबो होटल में स्वल्पाहार, कैंडी भ्रमण रात्रि भोज, विश्राम कैंडी में। 

तीसरा दिन : 29 अगस्त 2025- कैंडी में स्वल्पाहार, कैंडी से श्री लंका के सेंट्रल प्रोविन्स के हसलका में स्थित राम कालीन स्थलगुरुलोपोथा (सीता कोटवा) (जहाँ रावण णे माँ जानकी को रखा था) का भ्रमण। यह स्थल प्राकृतिक सौंदर्य, झरनों अनुराधपुर की चूना गुफाओं आदि के लिए विश्व में प्रसिद्ध है। नुवारा एलिया से 30 किलोमीटर उत्तर में नयनाभिराम रामबोडा गिरि शिखर पर चिन्मय मिशन द्वारा निर्मित भक्त श्री लंका की सबसे अधिक ऊँची 18 फुटी हनुमान प्रतिमा के दर्शन। यह श्रीलंका के विश्व प्रसिद्ध चाय बागानों का प्रवेश द्वार भी है। होटल में रात्रि भोज एवं विश्राम। 

 चौथा दिन 30 अगस्त 2025 - चाय बागानों, लुप्तप्राय वानस्पतिक कृषि, रोमांचित करते जल प्राप्तों तथा अछूते काष्ठ वनों आदि  से घिरी बर्फीली झील के निकट लघु इंग्लैंड उपनाम से प्रसिद्ध नुवारा एलिया शहर में समुद्र सतह से 7,000 फुट ऊँचाई पर स्थित रामायण कालीन गायत्री पीठम् (कैथेड्रल)  का भ्रमण। इसके बाद एला से याला होते हुए 2 किलो मीटर दूर 82 फुट के आल्टीट्यूड पर स्थित रावण झरने तथा रावण गुफा का भ्रमण। यह स्थल त्रेता कालीन राम कथा से संबद्ध है। मान्यता है कि रावण लंका का मूल निवासी तथा पराक्रमी राजा था जो श्री राम की भार्या माँ सीता का आहरण कर खलनायक बन गया था। रावण ने सीता जी का हरण कर  रावण गुफा में उन्हें  बंधक बना लिया था। रावण झरने के समीप बेहद खूबसूरत ढलान, घाटियाँ तलहटी, पहाड़ियाँ तथा झरने आदि हैं। यहाँ के शिला खंड लगभग 25000 वर्ष प्राचीन बताए जाते हैं। शिलाओं के चतुर्दिक बहुत सुंदर हरियाली, वनस्पतियाँ, गगनचुंबी पेड़ आदि है। झरनों के निकट की खुरदुरी चट्टान जल प्रवाह से चिकनाई , संगमरमरी  धवलता तथा रवि रश्मि चुंबित  होकर रमणीय लगती हैं। अति वेयग से प्रवहित जल की कलकल ध्वनि जलकुंडों के निकट सरस सांगीतिक सरगम सी सुनाती है। सतत प्रवहमाँ हवाएँ इस स्थल को अधिक आकर्षक बनती हैं। संदया समय जल प्रवाह तथा वायुप्रवाह की सम्मिलित ध्वनि सिंह गर्जन तथा मेघ गर्जन के सम्मिलित स्वर की प्रतीति करती है। आप सीट जी द्वारा लंका प्रवास काल में सपक्ष किए गए जल का स्पर्श कर धन्य हो सकते हैं। तैराकों का स्वर्ग यह स्थल गहन वनों से आच्छादित है। इस रॉनचक यात्रा के बाद याला में  होटल में रात्रि भोज तथा विश्राम की सुंदर व्यवस्था है। 

पाँचवा दिन 31 अगस्त 2025 : (याला से गेले) होटल में स्वल्पाहार के बाद काठरगामा मुरूगन कोविल का दर्शन। यह स्थान हिन्दू, बौद्ध, मुस्लिम तथा वेद्दा सभी का तीर्थ स्थल है। मुरूगन शिव पुत्र देव सेनापति कार्तिकेय हैं। प्राचीन काल में यह दुर्गम गुफा क्षेत्र था जो अब सुंदर सदाबहार मार्गों से घिरा हुआ है। गुफा तथा किरी वहरा बौद्धों द्वारा प्रबंधित है। तेवानाई तथा शिव को समर्पित गुफा हिंदुओं के स्वामित्व में है। मस्जिद का नियंत्रण मुसलमानों के हाथों में हैं। काठरगामा मंदिर का दर्शन कर 3 किलोमीटर  दूर दक्षिणी श्री लंका में श्री राम कथा से सीधे जुड़े हुए एक और स्थल मनोरम रुमस्सला संजीवनी शिखर का भ्रमण धन्यता  की अनुभूति कराता है। यहाँ जैसी वनस्पतियाँ श्री लंका में अन्यत्र नहीं हैं। लोक मान्यता है कि मेघनाद द्वारा लक्ष्मण जी पर शक्ति प्रहार किए जाने के बाद उनकी मूर्छा दूर करने के लिए हनुमान जी द्वारा लाया गया द्रोण  पर्वत यही रखा गया था। युद्ध में श्री राम तथा लक्षमन जी कई वार विषैले अक्षत्र-शस्त्रों से घायल हुए थे। उनकी चिकित्सा के लिए श्री हनुमान जी को जीवन रक्षक औषधिक वनस्पतियों की रक्षा का दायित्व सौंपा गया था। द्रोण पर्वत का बच हुई अंश ही हिरीपितिया में रुमस्सला, गेले, डोलू कंडा तथा हर्बरना-अनुराधापुर मार्ग पर रितीगला, मन्नार में थलाड़ी, तथा उत्तर में कच्छ तीवु आदि हैं। इस यात्रा के बाद गेले से कोलंबो हवाई अड्डे पहुँचकर मुंबई प्रस्थान के साथ यात्रा का समापन होगा।

***
Day 1: Date 27- 08- 2025 Colombo Meet & assist on arrival by our airport representative & transfer from Airport to Hotel in Colombo सिंहली और हिंदी का सांस्कृतिक अवलोकन : अंतर्राष्ट्रीय सेमीनार 27 अगस्त 2025 कोलंबो
After seminar Visit PanchamugaAnjaneyar Temple Colombo PanchamugaAnjaneyar Temple considered as the first Anjaneyar Temple in Sri Lanka. Also this PanchamugaAnjaneyar Temple in Sri Lanka which dedicated to Lord Hanuman in his Panchamuga form, meaning five faces. This temple is located Colombo Sri Lanka. It is believed that Swamy Chandrashekar built the first hanuman temple in Sri Lanka known as Sri PanchamukhaAncheneyar temple. Srimath Chandrasekara swamigal established First Temple in Sri Lanka and a first chariot in the world for Sri Rama’s beloved devotee Anjaneyar. Dinner & Overnight stay at Hotel, Colombo

Day 2: Date 28- 08- 2025 Colombo to Kandy Breakfast at Hotel On completion proceed to Kandy for the leisure Dinner & Overnight stay at Hotel, Kandy

Day 3: Date 29- 08- 2025 Kandy/Sita Kotuwa/Nuwara Eliya Breakfast at Hotel Transfer from Kandy to Gurulupotha (Sita Kotuwa) Sita Kotuwa or Sita Matha’s court is an archeological site which directly linked to the Ramayana trail Sri Lanka located at Gurulupotha, Hasalaka in Central Province of Sri Lanka. It is believed that, Sita Kotuwa in GurupothaHasalaka is one of the places where Princess Sita was kept by King Ravana. This is one of the very important Ramayana trail Sri Lanka sites. Sita Matha’s court is with beautiful remote spot, which is surrounded by many abundant flora and fauna, streams and waterfalls. And also there are limestone caves, where ruins of a typical forest monastery from the late Anuradhapura centuries which can be visited at present. On completion proceed to Nuwara Eliya On route visit Hanumanji Temple Sri Bhakta Hanuman Temple is one of the important Hanuman Temples in Sri Lanka located on summit of the very beautiful picturesque mountain in Ramboda 30 KM north to Nuwara Eliya, the gateway to the tea country hill station of Sri Lanka. This Hanuman Temple in Ramboda was constructed by Chinmaya Mission of Sri Lanka. Shri Bhakta Hanuman temple is dedicated to the God Hanuman and this is one of important sites of Ramayana Tour in Sri Lanka. Visitors can witness the 18 feet Hanuman statue which is the tallest Hanuman statue in Sri Lanka established inside the Shri Bhakta Hanuman Temple in Ramboda. On completion proceed to hotel for the leisure Dinner & Overnight stay at Hotel, Kandy

Day 4: Date 30 - 08- 2025 NuwaraEliya toYala to Galle Breakfast at Hotel Visit Seetha Amman Temple, Ashok Vatika& Gayathri Peedam Seetha Amman Temple is located approximately 1 kilometre (0.62 mi) from Hakgala Botanical Garden and 5 kilometres (3.1 mi) from Nuwara Eliya. The temple is located in the village of Seetha Eliya (also known as Sita Eliya). This place is believed to be the site where Sita was held captive by (Vikram) king Ravana, and where she prayed daily for Rama to come and rescue her in the Hindu epic, Ramayana. On the rock face across the stream are circular depressions said to be the footprints of Lord Hanuman. Visit Gayathri Peedam The Gayathri Cathedral also known as Sri-Lankatheeswarar Temple is the very first temple dedicated for Goddess Gayathri. Gayathri Siddhar chose this place because it was a spiritual revelation. It is believed that the Tri Moortis – Siva, Brahma and Vishnu, appeared here when prince Meganath also known as Indrajit, son of an ancient Sri Lankan King Ravana Performed Siva Thapas and Nikumbala Yagna. 
Therefore, Gayathri Peedam is one of important site of Ramayana Tour of Sri Lanka. The Gayathri Cathedral situated 7,000 FT above the mean sea level in Nuwara Eliya town is a Colonial township known as the ‘Little England “for its breezy atmosphere in central province in the island built around a chilly lake surrounded by lush Tea gardens, abundant vegetable cultivation, stunning waterfalls and Virgin woodland. On completion proceed to Yala via Ella Visit Ravana falls & Ravana Cave Just 2 km from Ella city, perched at an altitude of 82 feet is the Ravana cave, and Ravana falls. The history of Sri Lanka dates back to over 2000 years and it finds itself in the iconic Ramayana. It is believed that Ravana was a fervent Sri Lankan by origin and stood as a villain in the lives of duo Ram – Sita. He captured Sita and kept her hostage in his custody in the famous, Ravana caves and the Ravana falls. Landscapes around the Ravana falls comprises of slopes, valleys, hills and streams that ornament the rocks.Historic connotations of this marvel date back as old as 25,000 years. The falls are beautiful; there is vegetation in the form of greenery, tall deciduous trees and twigs sprouting from the crevices of the rock. The walls of the falls are coarse but relaxed at the same time to give the feeling of a polished sun-kissed stone. The water pours down at high velocity and makes a sweet thud as it hits the pools of water. The breeze is another factor that adds to its beauty. In the evenings the breeze is at full swing, that the roar of the wind competes with the sound of the gushing waters. You can soak yourself in the waters that held Sita as she bathed in them during her time in Lanka. The cave is known for one of the widest waterfalls in Sri Lanka and is bounded by a thick blanket of forests and are perfect for a swim. On completion proceed to Yala for the leisure Dinner & Overnight stay at Hotel, Yala

Day 5: Date 31 - 08- 2025 Yala to Galle Breakfast at Hotel Visit Katharagama Temple Kataragama temple Kataragama. 'Katirkāmam Murugan Kōvil') in Kataragama, Sri Lanka, is a temple complex dedicated to Buddhist guardian deity Kataragama deviyo and Hindu War God Murugan. It is one of the few religious sites in Sri Lanka that is venerated by the Buddhists, Hindus, Muslims and the Vedda people. For most of the past millennia, it was a jungle shrine very difficult to access; today it is accessible by an all-weather road. The shrines and the nearby Kiri Vehera are managed by Buddhists, the shrines dedicated to Teyvāṉai and Shiva are managed by Hindus and the mosque by Muslims. After visiting Katharagama Temple proceed to Galle Visit Rumassala Sanjeevani Mountain – Galle Rumassala is a beautiful mountain located 3 KM east to Galle town, Southern Province of Sri Lanka which is directly linked to the Ramayana yatra Sri Lanka. According to the Ramayana trail tour Sri Lanka, this abnormal geographical piece believed to be fallen down when Hanuman carried the Dronagiri on his flight back to Lanka Pura in order to use lifesaving Sanjeevani herbs there, to rescue Lakhshmana and Rama who were in need of this medical plant to be treated after suffering severe injuries at their war. Therefor Rumassala is one of the five Sanjivani Mountains in Sri Lanka and important Sri Lanka Ramayana tour site.Legend related to Rumassala Ramayana facts states that during the war at different times, both Lord Rama and Lakshmana were injured severely by very powerful arrows and fell unconscious. So Lord Hanuman was instructed to fetch the lifesaving herbs from Himalaya in order to make them back to life. So Hanuman went to the hills, lifted the part of the hill and brought it to Sri Lanka as he was unable to identify the lifesaving herbs alone. While he was carrying the hill, it is believed that some Parts from the hill fell down at five places in Sri Lanka, namely, Rumassala in Galle, Dolu Kanda in Hiripitiya, Ritigala on the Habarana Anuradhapura road, Thalladi in Mannar and Kachchativu in the north. The epic of Ramayana also depicts that Rumassala is also said to be an abode of Sita during her stay in Lanka Galle to Colombo Airport Transfer from Colombo to Airport for the departure END OF TOUR   
PACKAGE RATE- pr person 1- RegistraƟon fee Non refundable 11,000 INR last date 21-05-2025 2- first instalment 25,000 INR 25-06-2025 3- second instalment 20,000 INR 25-07-2025 4- Third instalment 15,500 INR 10-08-2025 5- Note over date extra charge 3500 INR 6- one Ɵme payment 67, 000 but last date 21-5-2025 this date over 73,500 

  डॉ. सतीश : +91-9764011790  डॉ. तबस्सुम : +91-9415778595  डॉ. अफसाना : +91-8976871840  राजकुमार : +91-8400440085 BANK ACCOUNT DETAIL STATE BANK OF INDIA SAHITYIK SANSKRUTIK SHODH SANSTHA A/C NO. 42093929112 IFSC CODE – SBIN0012702 BRANCH – Ulhasnagar camp 4
***

१२ जून, सॉनेट, अहंकार, भारत, शिरीष, हास्य, ठेंगा, विधाता, शुद्धगा, दोहा,

सलिल सृजन १२ जून

*
दोहा सलिला
झलक न रचनाकार की, है रचना से भिन्न। रचना रख सिर-आँख पर, हो मत किंचित् खिन्न।। .
रुचि पूर्वक रचना करे, पढ़ हो रचना-लीन।
द्वैत तजे अद्वैत वर, रचनाकार प्रवीण।।
.
रच ना, रचने दे सदा, रचना मन में आप। सत्-शिव-सुंदर सृजन में, जाता खुद ही व्याप।। .
निराकार आकार ले, रचना में बन शब्द। चित्र गुप्त साकार हो, रचनाकार निशब्द।। .
रचना-रचनाकार से, पाठक हो जब एक। कथ्य भाव रस बिंब लय, ग्रहण करें सविवेक।।
१२.६.२०२५ ०००
सॉनेट
अहंकार
*
अहंकार सिर पर चढ़ा,
खुद को कहते श्रेष्ठ खुद,
दिन-दिन अधिकाधिक बढ़ा,
सबसे ज्यादा नेष्ठ खुद।
औरों को उपदेश दें,
चाल-चलन विपरीत कर,
श्रेय न पर को लेश दें,
चाटुकार से प्रीत कर।
देख मलिन मुख तोड़ दें,
दर्पण मुख धोते नहीं,
ऐसों को झट छोड़ दें,
जो पछता-रोते नहीं।
अहंकार ही हार है,
शीघ्र पतन का द्वार है।
बेंगलुरू, १२.६.२०२४
***
दोहा दुनिया
मैं भारत हूँ कह करें, मनमानी दिन-रात।
भारत का दुख दिख रहा, किंचित तुम्हें न तात।।
*
मैं भारत हूँ मानकर, सत्ता मूँदे नैन।
जन-मन को पीड़ित करे, आप गँवाए चैन।।
*
मैं भारत हूँ कह सहे, जनगण चुप हो पीर।
मन ही मन में घुट रही, जनता हुई अधीर।।
*
मैं भारत हूँ कह रहीं, घुटती साँसें रोज।
अस्पताल धन लूटते, गिद्ध पा रहे भोज।।
*
मैं भारत हूँ बोलतीं, दबीं रेत में लाश।
सिसक रही है हर नदी, हर घर मौन-हताश।।
१२-६-२०२१
***
एक गीत
शिरीष के फूल
*
फूल-फूल कर बजा रहे हैं
बीहड़ में रमतूल,
धूप-रूप पर मुग्ध, पेंग भर
छेड़ें झूला झूल
न सुधरेंगे
शिरीष के फूल।
*
तापमान का पान कर रहे
किन्तु न बहता स्वेद,
असरहीन करते सूरज को
तनिक नहीं है खेद।
थर्मामीटर नाप न पाये
ताप, गर्व निर्मूल
कर रहे हँस
शिरीष के फूल।।
*
भारत की जनसँख्या जैसे
खिल-झरते हैं खूब,
अनगिन दुःख, हँस सहे न लेकिन
है किंचित भी ऊब।
माथे लग चन्दन सी सोहे
तप्त जेठ की धूल
तार देंगे
शिरीष के फूल।।
*
हो हताश एकाकी रहकर
वन में कभी पलाश,
मार पालथी, तुरत फेंट-गिन
बाँटे-खेले ताश।
भंग-ठंडाई छान फली संग
पीकर रहते कूल,
हमेशा ही
शिरीष के फूल।।
*
जंगल में मंगल करते हैं
दंगल नहीं पसंद,
फाग, बटोही, राई भाते
छन्नपकैया छंद।
ताल-थाप, गति-यति-लय साधें
करें न किंचित भूल,
नाचते सँग
शिरीष के फूल।।
*
संसद में भेजो हल कर दें
पल में सभी सवाल,
भ्रमर-तितलियाँ गीत रचें नव
मेटें सभी बबाल।
चीन-पाक को रोज चुभायें
पैने शूल-बबूल
बदल रँग-ढँग
शिरीष के फूल।।
***
हास्य रचना
ठेंगा
👍
ठेंगे में 'ठ', ठाकुर में 'ठ', ठठा हँसा जो वह ही जीता
कौन ठठेरा?, कौन जुलाहा?, कौन कहाँ कब जूते सीता?
बिन ठेंगे कब काम चला है?, लगा, दिखा, चूसो या पकड़ो
चार अँगुलियों पर भारी है ठेंगा एक, न उससे अकड़ो
ठेंगे की महिमा भारी है, पूछो ठकुरानी से जाकर
ठेंगे के संग जीभ चिढ़ा दें, हो जाते बेबस करुणाकर
ठेंगा हाथों-लट्ठ थामता, पैरों में हो तो बेनामी
ठेंगा लगता, इसकी दौलत उसको दे देता है दामी
लोक देखता आया ठेंगा, नेता दिखा-दिखा है जीता
सीता-गीता हैं संसद में, लोकतंत्र को लगा पलीता
राम बाग़ में लंका जैसा दृश्य हुआ अभिनीत, ध्वंस भी
कान्हा गायब, यादव करनी देख अचंभित हुआ कंस भी
ठेंगा नितीश मुलायम लालू, ममता माया जया सोनिया
मौनी बाबा गुमसुम-अण्णा, आप बने तो मिले ना ठिया
चाय बेचकर छप्पन इंची, सीना बन जाता है ठेंगा
वादों को जुमला कहता है, अंधे को कहता है भेंगा
लोकतंत्र को लोभतंत्र कर, ठगता ठेंगा खुद अपने को
ढपली-राग हो गया ठेंगा, बेच रहा जन के सपने को
ठेंगे के आगे नतमस्तक, चतुर अँगुलियाँ चले न कुछ बस
ठेंगे ठाकुर को अर्पित कर भोग लगाओ, 'सलिल' मिले जस
१२-६-२०१६
***
मुक्तक
नेह नर्मदा में अवगाहो, तन-मन निर्मल हो जाएगा।
रोम-रोम पुलकित होगा प्रिय!, अपनेपन की जय गाएगा।।
हर अभिलाषा क्षिप्रा होगी, कुंभ लगेगा संकल्पों का,
कोशिश का जनगण तट आकर, फल पा-देकर तर जाएगा।।
७-६-२०१६
***
छंद सलिला:
विधाता/शुद्धगा छंद
*
छंद लक्षण: जाति यौगिक, प्रति पद २८ मात्रा,
यति ७-७-७-७ / १४-१४ , ८ वीं - १५ वीं मात्रा लघु
विशेष: उर्दू बहर हज़ज सालिम 'मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन मुफाईलुन' इसी छंद पर आधारित है.
लक्षण छंद:
विधाता को / नमन कर ले , प्रयासों को / गगन कर ले
रंग नभ पर / सिंधु में जल , साज पर सुर / अचल कर ले
सिद्धि-तिथि लघु / नहीं कोई , दिखा कंकर / मिला शंकर
न रुक, चल गिर / न डर, उठ बढ़ , सीकरों को / सलिल कर ले
संकेत: रंग =७, सिंधु = ७, सुर/स्वर = ७, अचल/पर्वत = ७
सिद्धि = ८, तिथि = १५
उदाहरण:
१. न बोलें हम न बोलो तुम , सुनें कैसे बात मन की?
न तोलें हम न तोलो तुम , गुनें कैसे जात तन की ?
न डोलें हम न डोलो तुम , मिलें कैसे श्वास-वन में?
न घोलें हम न घोलो तुम, जियें कैसे प्रेम धुन में?
जात = असलियत, पानी केरा बुदबुदा अस मानुस की जात
२. ज़माने की निगाहों से , न कोई बच सका अब तक
निगाहों ने कहा अपना , दिखा सपना लिया ठग तक
गिले - शिकवे करें किससे? , कहें किसको पराया हम?
न कोई है यहाँ अपना , रहें जिससे नुमायाँ हम
३. है हक़ीक़त कुछ न अपना , खुदा की है ज़िंदगानी
बुन रहा तू हसीं सपना , बुजुर्गों की निगहबानी
सीखता जब तक न तपना , सफलता क्यों हाथ आनी?
कोशिशों में खपा खुदको , तब बने तेरी कहानी
४. जिएंगे हम, मरेंगे हम, नहीं है गम, न सोचो तुम
जलेंगे हम, बुझेंगे हम, नहीं है तम, न सोचो तुम
कहीं हैं हम, कहीं हो तुम, कहीं हैं गम, न सोचो तुम
यहीं हैं हम, यहीं हो तुम, नहीं हमदम, न सोचो तुम
*********
१२-६-२०१४