माँ दुर्गा की स्तुति
प्रो सी बी श्रीवास्तव "विदग्ध "
vivek1959@yahoo.co.in
हे सिंहवाहिनी , शक्तिशालिनी , कष्टहारिणी माँ दुर्गे
महिषासुर मर्दिनि,भव भय भंजनि , शक्तिदायिनी माँ दुर्गे
तुम निर्बल की रक्षक , भक्तो का बल विश्वास बढ़ाती हो
दुष्टो पर बल से विजय प्राप्त करने का पाठ पढ़ाती हो
हे जगजननी , रणचण्डी , रण में शत्रुनाशिनी माँ दुर्गे
जग के कण कण में महाशक्ति कीव्याप्त अमर तुम चिनगारी
ढ़१ड़ निस्चय की निर्भय प्रतिमा , जिससे डरते अत्याचारी
हे शक्ति स्वरूपा , विश्ववन्द्य , कालिका , मानिनि माँ दुर्गे
तुम परब्रम्ह की परम ज्योति , दुष्टो से जग की त्राता हो
पर भावुक भक्तो की कल्याणी परंवत्सला माता हो
निशिचर विदारिणी , जग विहारिणि , स्नेहदायिनी माँ दुर्गे .
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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रविवार, 10 अक्टूबर 2010
माँ दुर्गा की स्तुति

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2 टिप्पणियां:
माँ दुर्गे की भाव विभोर करनेवाली स्तुति. विदग्ध जी की विदग्धता को नत सिर वंदन.
जागो दुर्गा दशप्रहरनधारिनी …अभया शक्ति फ़लप्रदाइनी जागो मा…………॥मा सब्के ह्रिदय मे बस्ती है………सुन्दर प्रस्तुति
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