बाल गीत:
माँ-बेटी की बात
संजीव 'सलिल'
*
रानी जी को नचाती हैं महारानी नाच.
झूठ न इसको मानिये, बात कहूँ मैं साँच..
बात कहूँ मैं साँच, रूठ पल में जाती है.
पल में जाती बहल, बहारें ले आती है..
गुड़िया हाथों में गुड़िया ले सजा रही है.
लोरी गाकर थपक-थपक कर सुला रही है.
मारे सिर पर हाथ कहे: ''क्यों तंग कर रही?
क्यों न रही सो?, क्यों निंदिया से जंग कर रही?''
खीज रही है, रीझ रही है, हो बलिहारी.
अपनी गुड़िया पर मैया की गुड़िया प्यारी..
रानी माँ हैरां कहें: ''महारानी सो जाओ.
आँख बंद कर अनुष्का! सपनों में मुस्काओ.
तेरे पापा आ गए, खाना खिला, सुलाऊँ.
जल्दी उठाना है सुबह, बिटिया अब मैं जाऊँ?''
बिटिया बोली ठुमक कर: ''क्या वे डरते हैं?'
क्यों तुमसे थे कह रहे: 'तुम पर मरते हैं?
जीते जी कोई कभी कैसे मर सकता?
बड़े झूठ कहते तो क्यों कुछ फर्क नहीं पड़ता?''
मुझे डांटती: ''झूठ न बोलो तुम समझाती हो.
पापा बोलें झूठ, न उनको डांट लगाती हो.
मेरी गुड़िया नहीं सो रही, लोरी गाओ, सुलाओ.
नाम न पापा का लेकर, तुम मुझसे जान बचाओ''..
हुई निरुत्तर माँ गोदी में ले बिटिया को भींच.
लोरी गाकर सुलाया, ममता-सलिल उलीच..
***************
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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शुक्रवार, 1 अक्टूबर 2010
बाल गीत: माँ-बेटी की बात --संजीव 'सलिल'
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8 टिप्पणियां:
नानाजी,
आपने तो सारा भेद विस्तार से बता दिया इस खुबसूरत कविता के माध्यम से ......इसमे जो आपका प्यार और आशीर्वाद मुझे मिला है , हमेशा मेरे साथ रहेगा .....
आपकी प्यारी बेटी
अनुष्का
अनुष्का ,
नाना ने तो सारी पोल खोल दी ....हा हा हा ...बहुत बढ़िया ...बच्चे ही तो शैतानी करते हैं ...और बहुत बड़ी बड़ी बात करने लगी हो ...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति है सलिल जी ..
बहुत सुन्दर प्रस्तुति है। देखा अनुषका तुम्हारे नाना तुम्हारी पोल खोल हल्ला व्बोल कर रहे है। जब सलिल जी क प्यार मिला है तो और क्या चाहिये। समझो माँ शारदे, दुर्गा लक्षमी सब का आशीर्वाद मिल गया
खुश रहो। आशीर्वाद। सलिल जी की कलम को नमन।
बहुत सुन्दर गीत लिखा है...
एक शरारती के लिए...शरारत भरा सा.
आ० सलिल जी अभिवादन
सुन्दर लोरी गीत को, पढ्कर हुआ निहाल
कैसा भी बैचैन हो, सो जायेगा लाल
डा०अजय जनमेजय
आदरणीय,
सादर प्रणाम
आपके आशीष से मैं तो कृतज्ञ हूँ ही ...आज अत्यंत प्रसन्न हूँ की आपका स्नेहाशीष अनुष्का को भी प्राप्त हुआ . आपके आशीर्वाद से उस पर भी सदा माँ सरस्वती की कृपा रहे यही प्रार्धना है ईश्वर से .....इस अनुराग के लिए आपका ह्रदय से आभार
स्नेह व सानिध्य बनाए रखियेगा
सादर
रानीविशाल
रानीविशाल:
बहुत सुन्दर और शिक्षाप्रद कविता कही है ....सलिल नानाजी को बहुत बहुत धन्यवाद !
नन्ही ब्लॉगर
अनुष्का
अनुष्का ही तो हमारा भविष्य है. हमारी सारी ना-ना को वह हाँ-हाँ में बदल सके यही कामना है. दिव्यनर्मदा में अवगाहन करती रहें... आपसे एक सहायता चाहिए है... हिन्दी के शब्द-भंडार को अधिक संपन्न, समृद्ध, सामयिक और उपयोगी बनाने के लिये दिश-विदेश की विविध भाषाओँ-बोलियों के ऐसे शब्द जो अभी हिन्दी में नहीं हैं तथा जिनकी प्रकृति हिन्दी के अनुकूल हैं- हिन्दी शब्द कोष में जोड़े जाएँ. आप सहायता करें. माननीया संगीता जी तथा हर कोई सहायक हो सकता है. आज से शब्द संचय प्रारंभ कर रहा हूँ. उच्चारण अनुसार देवनागरी लिपि में शब्द, उसका अर्थ, लिंग, वचन, कारक, समानार्थी, विरुद्धार्थी आदि जानकारी वर्ण क्रम के अनुसार रखनी होगी. इसमें भारत की कुमायूनी, डोगरी, लदाखी, असमी, तमिल, मारवाड़ी, मेवाड़ी, बृज, अवधी, मैथिली, भिज्पुरी जैसी आंचलिक भाषाओँ के साथ अंग्रेजी, फ्रेंच, जापानी आदि के भी कुछ शब्द जोड़े जाना चाहिए. ज्ञान-विज्ञान की विविध शाखाओं के शब्द भी चाहिए.
आप जहाँ हैं वहीं शब्द-संचय करें, जो आपके संपर्क में आये उससे शब्द लें और भेजें. आज 'अ' के कुछ शब्द दिव्यनर्मदा में दे रहा हूँ.
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