बाल गीत:
काम करें...
संजीव 'सलिल'
*
*
हम हिन्दी में काम करें.
जग में ऊँचा नाम करें..
मिलें, कहें- 'जय हिंद' सखे..
बिछुड़ें तो 'जय राम' कहें..
आलस करें न पल भर भी.
सदा समय पर काम करें..
भेद-भाव सब बिसराएँ.
भाई-चारा आम करें..
'माँ', मैया, माता' बोलें.
ममी, न मम्मी,माम करें..
क्रोध, ईर्ष्या, स्वार्थ तजें.
जीवन को सुख-धाम करें..
'सलिल'- साधना सफल तभी.
कोशिश आठों याम करें..
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दिव्यनर्मदा.ब्लागस्पाट.कॉम
Acharya Sanjiv Salil
http://divyanarmada.blogspot.com
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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शुक्रवार, 10 सितंबर 2010
बाल गीत: काम करें... संजीव 'सलिल'
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5 टिप्पणियां:
सुंदर बाल गीत है, सलिल जी.
--ख़लिश
सलिल जी,
आपकी बालोचित कविता से प्रेरणा पा कर वानर-प्रकृति अनुसार नकल करने की हूक उठी तो निम्न का प्रादुर्भाव हुआ-- १० सितम्बर २०१०
आओ बच्चो काम करें
नाहक न आराम करें
दिन भर मेहनत करके फिर
संध्या को विश्राम करें
करें सदा इसकी सेवा
भारत माँ का नाम करें
हड़तालों से दूर रहें
कभी न चक्का जाम करें
बिना रुके चलते जाएं
ख़लिश सुबह से शाम करें.
वाह ... वाह... मजा आ गया.
आपको समर्पित चंद पंक्तियाँ.
घर को तीरथ धाम करें.
काम सदा निष्काम करें..
कोशिश-मेहनत को पूजें.
आलस को गुमनाम करें..
कथनी-करनी एक रहे.
जीवन को पैगाम करें..
उगते सूरज को पूजें.
ढलते रवि संग शाम करें..
खलिश न मन में पलने दें.
किस्सा सभी तमाम करें..
धूप-छाँव से गले मिलें.
मनचाहा अंजाम करें..
'सलिल' बनें शत कमल खिला
सबको विनत प्रणाम करें..
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दिव्यनर्मदा.ब्लागस्पाट.कॉम
सुन्दर सार्थक बालगीत!!
शकुन्तला बहादुर
आलस करें न पल भर भी.
सदा समय पर काम करें..
बिलकुल सही शिक्षा
अनुष्का
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