
काल है संक्रांति का - एक सामयिक और सशक्त काव्य कृति
- अमरेन्द्र नारायण
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आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' जी बहुमुखी प्रतिभा संपन्न व्यक्तित्व के स्वामी हैं। वे एक सम्माननीय अभियंता, एक सशक्त साहित्यकार, एक विद्वान अर्थशास्त्री, अधिवक्ता और एक प्रशिक्षित पत्रकार हैं। जबलपुर के सामाजिक जीवन में उनका महत्वपूर्ण स्थान है। उनकी यही बहुआयामी प्रतिभा उनकी नूतन काव्य कृति 'काल है संक्रांति का' में लक्षित होती है। संग्रह की कविताओं में अध्यात्म, राजनीति, समाज, परिवार, व्यक्ति सभी पक्षों को भावनात्मक स्पर्श से संबोधित किया गया है। समय के पलटते पत्तों और सिमटते अपनों के बीच मौन रहकर मनीषा अपनी बात कहती है-'शुभ जहाँ है, उसीका उसको नमन शत
जो कमी मेरी कहूँ सच, शीश है नत।
स्वार्थ, कर्तव्यच्युति और लोभजनित राजनीतिक एवं सामाजिक व्यवस्था के इस संक्रांति काल में कवि आव्हान करता है-
प्रतिनिधि होकर जन से दूर
आँखें रहते भी हो सूर
संसद हो चौपालों पर
राजनीति तज दे तंदूर
अब भ्रान्ति टाल दो, जगो-उठो।

अम्ल-धवल, शुचि
विमल सनातन मैया!
बुद्धि-ज्ञान-विज्ञान प्रदायिनी छैयाँ
तिमितहारिणी, भयनिवारिणी सुखदा
नाद-ताल, गति-यति खेलें तव कैयाँ
अनहद सुनवा दो कल्याणी!
जय-जय वीणापाणी!!
अध्यात्म के इन शुभ क्षणों में वह अंध-श्रद्धा से दूर रहने का सन्देश भी देता है-
अंध शृद्धा शाप है
आदमी को देवता मत मानिए
आँख पर पट्टी न अपनी बाँधिए
साफ़ मन-दर्पण हमेशा यदि न हो
गैर को निज मसीहा मत मानिए
लक्ष्य अपना आप हैं।
संग्रह की रचनाओं में विविधता के साथ-साथ सामयिकता भी है। अब भी जन-मानस में सही अर्थों में आज़ादी पाने की जो ललक है, वह 'कब होंगे आज़ाद' शीर्षक कविता में दिखती है-
कब होंगे आज़ाद?
कहो हम
कब होंगे आज़ाद?
गये विदेश पर देशी अंग्रेज कर रहे शासन
भाषण देतीं, पर सरकारें दे न स्की हैं राशन
मंत्री से सन्तरी तक, कुटिल-कुतंत्री बनकर गिद्ध
नोच-खा रहे भारत माँ को, ले चटखारे-स्वाद
कब होंगे आज़ाद?
कहो हम
कब होंगे आज़ाद?
आकर्षक साज-सज्जा से निखरते हुए इस संकलन की रचनाएँ आनन्द का स्रोत तो हैं ही, वे न केवल सोचने को मजबूर करती हैं बल्कि अकर्मण्यता दूर करने का सन्देश भी देती हैं।
कवि को हार्दिक धन्यवाद और बधाई।
गीत-नवगीत की इस पुस्तक का स्वागत है।
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समीक्षक परिचय- अमरेंद्र नारायण, ITS (से.नि.), भूतपूर्व महासचिव एशिया पेसिफिक टेलीकम्युनिटी बैंगकॉक , हिंदी-अंग्रेजी-उर्दू कवि-उपन्यासकार, ३ काव्य संग्रह, उपन्यास संघर्ष, फ्रेगरेंस बियॉन्ड बॉर्डर्स, द स्माइल ऑफ़ जास्मिन, खुशबू सरहदों के पार (उर्दू अनुवाद)संपर्क- शुभा आशीर्वाद, १०५५ रिज रोड, दक्षिण सिविल लाइन जबलपुर ४८२००१, ०७६१ २६०४६००, ईमेल- amarnar@gmail.com।
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