इंद्रवज्रा छंद
सम वर्ण वृत्त छंद इन्द्रवज्रा (प्रत्येक चरण ११-११ वर्ण, लक्षण "स्यादिन्द्र वज्रा यदि तौ जगौ ग:" = हर चरण में तगण तगण जगण गुरु) की दो आवृत्ति। पदांत साम्य २१ वर्ण बाद।
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तगण तगण जगण गुरु गुरु
विद्येव पुंसो महिमेव राज्ञः, प्रज्ञेव वैद्यस्य दयेव साधोः।
लज्जेव शूरस्य मुजेव यूनो, सम्भूषणं तस्य नृपस्य सैव॥
उदाहरण-
०१. माँगो न माँगो भगवान देंगे,
उदाहरण-
०१. माँगो न माँगो भगवान देंगे,
चाहो न चाहो भव तार देंगे।
होगा वही जो तकदीर में है,
तदबीर के भी अनुसार देंगे।।
हारो न भागो नित कोशिशें हो,
बाधा मिलें जो कर पार लेंगे।
माँगो सहारा मत भाग्य से रे!,
नौका न चाहें मँझधार लेंगे।
होगा वही जो तकदीर में है,
तदबीर के भी अनुसार देंगे।।
हारो न भागो नित कोशिशें हो,
बाधा मिलें जो कर पार लेंगे।
माँगो सहारा मत भाग्य से रे!,
नौका न चाहें मँझधार लेंगे।
०२ नाते निभाना मत भूल जाना,
वादा किया है करके निभाना।
तोड़ा भरोसा जुमला बताया,
लोगों न कोसो खुद को गिराया
वादा किया है करके निभाना।
तोड़ा भरोसा जुमला बताया,
लोगों न कोसो खुद को गिराया
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