पं. नरेंद्र शर्मा की कालजयी रचना

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स्वागतम
स्वागतम शुभ स्बागतम
आनंद मंगल मंगलम
नित प्रियम भारत भारतम
नित्य निरंतरता नवता
मानवता समता ममता
सारथि साथ मनोरथ का
जो अनिवार नहीं थमता
संकल्प अविजित अभिमतम
आनंद मंगल मंगलम
नित प्रियम भारत भारतम
कुसुमित नई कामनाएँ
सुरभित नई साधनाएँ
मैत्री मति कीडांगन में
प्रमुदित बन्धु भावनाएँ
शाश्वत सुविकसित इति शुभम
आनंद मंगल मंगलम
नित प्रियम भारत भारतम
सौजन्य लावण्या शाह
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जय जयति भारत भारती![]() |
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स्वागतम शुभ स्बागतम
आनंद मंगल मंगलम
नित प्रियम भारत भारतम
नित्य निरंतरता नवता
मानवता समता ममता
सारथि साथ मनोरथ का
जो अनिवार नहीं थमता
संकल्प अविजित अभिमतम
आनंद मंगल मंगलम
नित प्रियम भारत भारतम
कुसुमित नई कामनाएँ
सुरभित नई साधनाएँ
मैत्री मति कीडांगन में
प्रमुदित बन्धु भावनाएँ
शाश्वत सुविकसित इति शुभम
आनंद मंगल मंगलम
नित प्रियम भारत भारतम

जय जयति भारत भारती!
अकलंक श्वेत सरोज पर वह
ज्योति देह विराजती!
नभ नील वीणा स्वरमयी
रविचंद्र दो ज्योतिर्कलश
है गूँज गंगा ज्ञान की
अनुगूँज में शाश्वत सुयश
हर बार हर झंकार में
आलोक नृत्य निखारती
जय जयति भारत भारती!
हो देश की भू उर्वरा
हर शब्द ज्योतिर्कण बने
वरदान दो माँ भारती
जो अग्नि भी चंदन बने
शत नयन दीपक बाल
भारत भूमि करती आरती
जय जयति भारत भारती!
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