चित्र पर कविता:
* एल. के .'अहलुवालिया 'आतिश'
'अक्से -फ़िरदौस ...'

'अक्से -फ़िरदौस ...'
है बेबसी ये फ़क़त, दिल का मुद्द''आ तो नहीं ...
तेरी निगाहे - बे'नियाज़, 'अलविदा' तो नही । (अलमस्त, care-free)
जुदा तो जब हों, कोई फासले दिलों में करे ...
नज़र से दूर, मगर दिल से तू जुदा तो नही ।
मैं तो अपने नसीबे - सर्द पे शर्मिंदा हूँ ...
तू कहीं वक्ते- रुखसती में ग़मज़दा तो नही । (बिछड़ने का समय)
ब- लफ्ज़े- नाख़ुदा, साहिल मिले सफीने को ... (नाविक के कथनानुसार)
लबे - दोज़ख, ये लरज़ती हुई सदा तो नही ।
दो क़दम पर तेरा रुकना, औ' पलटना 'आतिश' ...
अक्से- फ़िरदौसे- हक़ीक़ी, तेरी अदा तो नहीं । (असल-स्वर्ग की सी तेरी परछाईं) (यहाँ 'तेरी' शब्द दोनों ओर जुड़ता है)
Lalit Walia <lkahluwalia@yahoo.com>
______________________________
13 टिप्पणियां:
prakashgovind1@gmail.com
आतिश साहेब
आप भी क्या लिख गए .... आह & वाह
पढ़कर दिल झूम उठा
हर पंक्ति दिलकश और लाजवाब
-
-
इस चित्र पर शायद इससे बेहतर लिख पाना मुमकिन नहीं
-
जितनी भी तारीफ़ करूँ कम ही होगी
हर लिहाज़ से बेहतरीन नज़्म !!!
बधाई ! बधाई !! बधाई !!!
--
Love & Take care ..........
Prakash Govind
Lucknow
Indira Pratap द्वारा yahoogroups.com
आदरणीय आतिश भाई बहुत ही दिलकश रचना , अब सारा दिन कुछ और पढ़ने का मन नहीं करेगा ,ख्यालों में यही समाई रहेगी | सराहना क़ुबूल करें | इन्दिरा
sanjiv verma salil
क्या खूब ... क्या खूब ... क्या खूब ...
लाजवाब
deepti gupta द्वारा yahoogroups.com
संजीव जी, इस बार आपने कैसा'अद्भुत'' विचित्र' चित्र पोस्ट किया है......! इस पर ललित जी की प्रस्तुति और भी गज़ब की! अब अगर अन्य कोई भी सदस्य... इस चित्र पर कुछ भी न लिखे- तो भी फर्क नहीं पडता क्योंकि ललित जी की खूबसूरत व गहरी रचना अकेली सौ के बराबर है!
प्रकाश जी और दिद्दा द्वारा तारीफ़ के शब्दों के बाद अब कुछ कहने को रह ही नहीं जाता!
फिर भी हम इतना तो कहेगे ही ------'ढेर सराहना ललित जी......! '
संजीव जी आप भी तो लिखिए चित्र पर! आपकी कलम के बिना यह सिलसिला अधूरा है!
सादर,
दीप्ति
Dr.M.C. Gupta
आतिश साहब,
परछाई को भी आपने ज़िंदा बना दिया
कुछ है कलम में आपकी जादू ख़लिश निहाँ.
--ख़लिश
dks poet
ekavita, kavyadhara
आदरणीय आतिश जी,
चित्र के लिए इससे लाजवाब नज़्म तो शायद ही कोई लिख सके।
दादम दाद कुबूल करें।
सादर
धर्मेन्द्र कुमार सिंह ‘सज्जन’
vijay द्वारा yahoogroups.com
ललित जी,
आपके ख़यालों को दाद देते हैं।
अक्से- फ़िरदौसे- हक़ीक़ी, तेरी अदा तो नहीं । .... वाह, वाह, वाह !
यह पढ़ते ही साहिर जी की याद आ गई ...
"तेरी साँसों की थकन तेरी निगाहों का सकूत
दर हकीकत कोई रंगीन शरारत ही न हो
मैं जिसे प्यार का अंदाज़ समझ बैठा हूँ
वो तबस्सुम वह तक्ल्लुम तेरी आदत ही न हो"
विजय
akpathak317@yahoo.co.in द्वारा yahoogroups.com
आलिम जनाब ’आतिश ’साहब
दाद क़ुबूल फ़र्मायें वाक़ई क्या दिल पज़ीर नज़्म पढी है आप ने
मक़्ता में तो आप ने मार ही दिया
दो क़दम पर तेरा रुकना, औ' पलटना 'आतिश' ...
अक्से- फ़िरदौसे- हक़ीक़ी, तेरी अदा तो नहीं ।
ज़रा इस पर भी ग़ौर फ़र्मायें
दो क़दम पे तेरा रुक कर (यूँ) पलटना ’आतिश’
अक़्से-फ़िरदौसे-हक़ीकी ,तेरी अदा तो नहीं ?
किस शे’र में ज़ियादा ’अदा’ नज़र आती है उनकी कि दिल ज़्यादा मज़रुह हो रहा है???
तलबगार-ए-वज़ाहत
आनन्द पाठक,जयपुर
my blog for GEET-GAZAL-GEETIKA http://akpathak3107.blogspot.com
my blog for HINDI SATIREs(Vyang)http://akpathak317.blogspot.com
my blog for URDU SE HINDI http://urdu-se-hindi.blogspot.com
(Mb) 094133 95592
Email akpathak3107@gmail.com
आतिश साहेब
आप भी क्या लिख गए .... आह & वाह
पढ़कर दिल झूम उठा
हर पंक्ति दिलकश और लाजवाब
इस चित्र पर शायद इससे बेहतर लिख पाना मुमकिन नहीं जितनी भी तारीफ़ करूँ कम ही होगी हर लिहाज़ से बेहतरीन नज़्म !!!
बधाई ! बधाई !! बधाई !!!
--
Love & Take care ..........
Prakash Govind
दीप्ति जी
चित्र सराहने के लिए धन्यवाद।
आपसे सहमत हूँ चित्र और आतिश जी की रचना दोनों वाकई एक से बढ़कर एक हैं।
चित्र भेजते समय मेरा अनुमान था कि अब तो अधिकांश साथी कुछ न कुछ रचेंगे पर ...
इस चित्र पर कमल दादा, दिद्दा, आप, आनंद जी, प्रकाश गोविन्द जी, प्रणव जी, मधु जी, ओमप्रकाश जी, विजय जी आदि यदि लिखें तो वाकई एक जानदार महफिल सज जायेगी। स्वादिष्ट मिष्ठान्न aatishआतिश जी ने परोस ही दिया है पर काव्य-थाली में नमकीन व चटपटा भी तो चाहिए ना ...
Kanu Vankoti
बहुत खूब आतिश भाई ...*=D> applause *=D> applause*=D> applause
Indira Pratap द्वारा yahoogroups.com
kavyadhara
आदरणीय विजय जी ,साहिर की याद दिलाकर आपने तो मखमल पर मोती ही जड़ दिया , धन्यवाद इन्दिरा
chaitanyajee1976@yahoo.co.in
आतिश जी, संजीव जी द्वारा चयनित चित्र और उसपे आपकी ये अलंकृत, सटीक नज़्म – यही है Art!
Mastery है आपकी उर्दू भाषा पर|
बहुत खूब|
धन्यवाद,
चैतन्य
एक टिप्पणी भेजें