घनाक्षरी :
जवानी
संजीव 'सलिल'
*
१.
बिना सोचे काम करे, बिना परिणाम करे,
व्यर्थ ही हमेशा होती ऐसी कुर्बानी है.
आगा-पीछा सोचे नहीं, भूल से भी सीखे नहीं,
सच कहूँ नाम इसी दशा का नादानी है..
बूझ के, समझ के जो काम न अधूरा तजे-
मानें या न मानें वही बुद्धिमान-ज्ञानी है.
'सलिल' जो काल-महाकाल से भी टकराए-
नित्य बदलाव की कहानी ही जवानी है..
२.
लहर-लहर लड़े, भँवर-भँवर भिड़े,
झर-झर झरने की ऐसी ही रवानी है.
सुरों में निवास करे, असुरों का नाश करे,
आदि शक्ति जगती की मैया ही भवानी है.
हिमगिरि शीश चढ़े, सिन्धु पग धोये नित,
भारत की भूमि माता-मैया सुहानी है.
औरों के जो काम आये, संकटों को जीत गाए,
तम से उजाला जो उगाये वो जवानी है..
३.
नेता-अभिनेता जो प्रणेता हों समाज के तो,
भोग औ'विलास की ही बनती कहानी है.
अधनंगी नायिकाएं भूलती हैं फ़र्ज़ यह-
सादगी-सचाई की मशाल भी जलानी है.
निज कर्त्तव्य को न भूल 'सलिल' याद हो-
नींव के पाषाण की भी भूमिका निभानी है.
तभी संस्कृति कथा लिखती विकास की जब
दीप समाधान का जलती जब जवानी है..
****************
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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सोमवार, 20 दिसंबर 2010
घनाक्षरी : जवानी -- संजीव 'सलिल'
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6 टिप्पणियां:
आ० आचार्य जी,
घनाक्षरी पढ़ कर आनंद आ गया | काव्य की प्रतेक विधा में आपकी
कलम के कमाल को नमन |
अंतिम पंक्ति में शायद जलाने के स्थान पर जलने टाइप हो गया है |
सादर
कमल
हार्दिक धन्यवाद. टंकण त्रुटि हेतु खेद है.
आदरणीय आचार्य जी,
घनाक्षरी के पद बहुत रुचिकर लगे ढेर सारी बधाईयाँ .
सादर
श्रीप्रकाश शुक्ल
kusum sinha
ekavita
priy sanjiv ji
namaskar
bahut sundar bahut hi sundar
aapki kavya prartibha ko mera shat shat naman
kusum
kusum sinha
ekavita
priy sanjiv ji
प्रिय संजीव जी
नमस्कार
आपकी काव्य प्रतिभा को मेरा शत-शत नमन बहुत सुन्दर बहुत ही सुन्दर घनाक्षरी
कुसुम
शुभाशीष पा धन्य हूँ, सदा सदय हों आप.
कुछ सार्थक कह-लिख सकूँ, सके हृदय जो व्याप..
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