गीत
पुकार
संजीव 'सलिल'
*
*
आजा, जल्दी से घर आजा, भटक बाँवरे कहाँ रहा?
तुझसे ज्यादा विकल रही माँ, मुझे बता तू कहाँ रहा?...
जहाँ रहा तू वहाँ सफल था, सुन मैं गर्वित होती थी.
सबसे मिलकर मुस्काती थी, हो एकाकी रोती थी..
आज नहीं तो कल आएगा कैयां तुझे सुलाऊँगी-
मौन-शांत थी मन की दुनिया में सपने बोती थी.
कान्हा सम तू गया किन्तु मेरी यादों में यहाँ रहा.
आजा, जल्दी से घर आजा, भटक बाँवरे कहाँ रहा?
तुझसे ज्यादा विकल रही माँ, मुझे बता तू कहाँ रहा?...
*
दुनिया कहती बड़ा हुआ तू, नन्हा ही लगता मुझको .
नटखट बाल किशन में मैंने पाया है हरदम तुझको..
दुनिया कहती अचल मुझे तू चंचल-चपल सुहाता है-
आँचल-लुकते, दूर भागते, आते दिखता तू मुझको.
आ भी जा ओ! छैल-छबीले, ना होकर भी यहाँ रहा.
आजा, जल्दी से घर आजा, भटक बाँवरे कहाँ रहा?
तुझसे ज्यादा विकल रही माँ, मुझे बता तू कहाँ रहा?...
*
भारत मैया-हिन्दी मैया, दोनों रस्ता हेर रहीं.
अब पुकार सुन पाया है तू, कब से तुझको टेर रहीं.
कभी नहीं से देर भली है, बना रहे आना-जाना
सारी धरती तेरी माँ है, ममता-माया घेर रहीं?
मेरे दिल में सदा रहा तू, निकट दूर तू जहाँ रहा.
आजा, जल्दी से घर आजा, भटक बाँवरे कहाँ रहा?
तुझसे ज्यादा विकल रही मैं, मुझे बता तू कहाँ रहा?...
*
दिव्यनर्मदा.ब्लागस्पाट.कॉम
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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शुक्रवार, 27 अगस्त 2010
गीत: पुकार - संजीव 'सलिल'
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2 टिप्पणियां:
kusum sinha
priy sanjiv ji
namaskar
bahut sundar ati sundar man bhar aaya aur vo bhi ek maa ke dil ko bas laga meri hi bat koi kah raha hai jab mai India me thi aur mere bachche yaha
badhai lekin aapne aaj bhi rula diya un dino ko yaad karke
kusum
आपका आशीष पाकर सफल लेखन कर्म है.
आपका आभार रचना में दिखा यदि मर्म है..
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