दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु
A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
शनिवार, 13 मार्च 2021
क्षणिका मौन
क्षणिका मौन * बिन बोले ही बोलता सुन सकते हर बात। दिन हो चाहे रात फर्क इसे पड़ता नहीं। बोलो हो तुम कौन कभी नहीं यह पूछता? वन-पर्वत या हो शहर बतियाता है मौन। ***
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