बाल गीत:
बरसे पानी
बरसे पानी
संजीव 'सलिल'
*

रिमझिम रिमझिम बरसे पानी.
आओ, हम कर लें मनमानी.

*
रिमझिम रिमझिम बरसे पानी.
आओ, हम कर लें मनमानी.
बड़े नासमझ कहते हमसे
मत भीगो यह है नादानी.

वे क्या जानें बहुतई अच्छा
लगे खेलना हमको पानी.

छाते में छिप नाव बहा ले.
जब तक देख बुलाये नानी.

कितनी सुन्दर धरा लग रही,
जैसे ओढ़े चूनर धानी.

काश कहीं झूला मिल जाता,
सुनते-गाते कजरी-बानी.

मत भीगो यह है नादानी.
वे क्या जानें बहुतई अच्छा
लगे खेलना हमको पानी.
छाते में छिप नाव बहा ले.
जब तक देख बुलाये नानी.
कितनी सुन्दर धरा लग रही,
जैसे ओढ़े चूनर धानी.
काश कहीं झूला मिल जाता,
सुनते-गाते कजरी-बानी.
'सलिल' बालपन फिर मिल पाये.
बिसराऊँ सब अकल सयानी.
*
बिसराऊँ सब अकल सयानी.
*
ksantosh_45@yahoo.co.in [ekavita]
जवाब देंहटाएंआ० सलिल जी
बहुत ही मनभावन सचित्र बाल कविता है..
बाल मन को अवश्य गुदगुदायेगी..
सन्तोषकुमार सिंह
pranavabharti@gmail.com [ekavita]
जवाब देंहटाएंआ सलिल जी
सुंदर भीनी कविता चित्रों के साथ सजीव हो उठी ।
बहुत सुंदर
साधुवाद
सादर
प्रणव
Ram Gautam gautamrb03@yahoo.com [ekavita]
जवाब देंहटाएंआ.आचार्य 'सलिल' जी,
प्रणाम:
पहली बारिस में नहाते हुए बच्चे; चित्रात्मक भाव में
बाल- कविता, सुन्दर और मनभावन लगी | आपको
साधुवाद और बधाई !!!!!!
सादर स्नेह - आरजी
आपका आभार शत-शत.
जवाब देंहटाएं'Dr.M.C. Gupta' mcgupta44@gmail.com [ekavita]
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर है, सलिल जी.
--ख़लिश
achal verma achalkumar44@yahoo.com [ekavita]
जवाब देंहटाएंसुन्दरे अति सुन्दरम
जवाब देंहटाएंachal verma achalkumar44@yahoo.com [ekavita]
आ. सलिल जी,
बाल गीत पढकर हम तो एक ब एक अपने उम्र के उस मुकाम पर पहुच गए जिसमे कभी इसी तरह के गीतो की जरूरत थे, और अब जाके ये पूरी हो रही है . ज़ी चाहता है फ़िर से वहीँ लौट चले ।
जवाब देंहटाएंKusum Vir kusumvir@gmail.com [ekavita]
आदरणीय आचार्य जी,
कमाल के सुन्दर और सजीव चित्र बटोरे हैं आपने और अति मनोहारी बाल गीत लिखा है l
ढेरों बधाई और सराहना स्वीकार करें l
सादर,
कुसुम
vijay3@comcast.net [ekavita]
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर बालगीत। बधाई।
सादर,
विजय निकोर
Shriprakash Shukla wgcdrsps@gmail.com [ekavita]
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर आचार्य जी । चित्र और रचना दोनों मनोहारी हैं ।
सादर
श्रीप्रकाश शुक्ल