शुक्रवार, 10 मई 2013

bundeli geet acharya sanjiv verma 'salil'

बुन्देली गीत
संसद बैठ बजावैं बंसी
संजीव
*
संसद बैठ बजावैं बंसी, नेता महानिगोरो.
कपरा पहिरे फिर भी नंगो, राजनीति को छोरो….
*
कुरसी निरख लार चुचुआवै, है लालच खों मारो.
खाद कोयला सक्कर चैनल, खेल बनाओ चारो.
आँख दिखायें परोसी, झूलै अम्बुआ डार हिंडोरो
संसद बैठ बजावैं बंसी, नेता महानिगोरो.....
*
सिस्ताचार बिसारो, भ्रिस्ताचार करै मतवारो.
कौआ-कज्जल भी सरमावै, मन खों ऐसो कारो.
परम प्रबीन स्वार्थ-साधन में, देसभक्ति से कोरो
संसद बैठ बजावैं बंसी, नेता महानिगोरो.....
*
बनो भिखारी बोट माँग खें, जनता खों बिसरा दओ.
फांस-फांस अफसर-सेठन खों, लूट-लूट गर्रा रओ.
भस्मासुर है भूख न मिटती, कूकुर सद्र्स चटोरो
संसद बैठ बजावैं बंसी, नेता महानिगोरो.....
*
चोर-चोर मौसेरे भैया, मठा-महेरी सांझी.
संगामित्ती कर चुनाव में, तरवारें हैं भांजी.
नूरा कुस्ती कर भरमावै, छलिया भौत छिछोरो
संसद बैठ बजावैं बंसी, नेता महानिगोरो.....
*
बोट काय दौं मैं कौनौ खों, सबके सब दल लुच्चे।
टिकस न दैबें सज्जन खों, लड़ते चुनाव बस लुच्चे.
ख़तम करो दल, रास्ट्रीय सरकार चुनो, मिल टेरो
संसद बैठ बजावैं बंसी नेता महानिगोरो.....
*
Sanjiv verma 'Salil'
salil.sanjiv@gmail.com
http://divyanarmada.blogspot.in

5 टिप्‍पणियां:

  1. Ajay Tyagi

    संसद बैठ बजावैं
    बंसी
    नेता महानिगोरो....
    बहुत सुंदर, सर जी!

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  2. Brijesh Kr Singh

    आदरणीय
    इतनी सुन्दर रचना साझा करने के लिए आपका आभार! अपना आशीष मुझ पर बनाए रखिए।
    एक निवेदन कि आपके लिंक को क्लिक करने पर किसी मालवेयर का खतरा बताकर लिंक ओपन करने से गूगल क्रोम इंकार कर रहा है। कृपया इस समस्या को देख लें।
    सादर!

    जवाब देंहटाएं
  3. Mahipal Tomar via yahoogroups.com

    आपकी जाग्रत कलम को नमन । जय हो जय हो

    जवाब देंहटाएं
  4. Dr.M.C. Gupta via yahoogroups.com

    बनो भिखारी बोट माँग खें, जनता खों बिसरा दओ.
    फांस-फांस अफसर-सेठन खों, लूट-लूट गर्रा रओ.
    भस्मासुर है भूख न मिटती, कूकुर सद्र्स चटोरो
    संसद बैठ बजावैं बंसी, नेता महानिगोरो.....


    --बहुत सुंदर, सलिल जी.

    Khalish

    ============================
    --
    (Ex)Prof. M C Gupta
    MD (Medicine), MPH, LL.M.,
    Advocate & Medico-legal Consultant
    www.writing.com/authors/mcgupta44

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  5. akpathak317@yahoo.co.in via yahoogroups.com

    आ0सलिल जी
    बहुत सुन्दर...
    भाषा पर अच्छी पकड़
    बधाई
    सादर


    आनन्द पाठक,जयपुर

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