मंगलवार, 24 जुलाई 2012

एक हास्य रचना: पकौड़े एस. एन. शर्मा 'कमल'

एक हास्य रचना:

पकौड़े



 एस. एन. शर्मा 'कमल'
 *
 गंगाराम गए ससुराल
आवभगत से हुए निहाल
बन कर आए गरम पकौडे
खाए छक कर एक न छोडे
खा कर चहके गंगाराम
सासू जी इसका क्या नाम
अच्छे लगे और लो थोड़े
लल्ला इसका नाम पकौडे
गदगद लौटे गंगाराम
घर पहुंचे तो भूले नाम
हुए भुलक्कड़पन से बोर
पत्नी पर फिर डाला जोर
भागवान तू वही बाना दे
जो खाए ससुराल खिला दे
बेचारी कुछ समझ न पाई
फिर बोली जिद से खिसियाई
अरे पहेली नहीं बुझाओ
जो खाया सो नाम बताओ
गंगाराम को आया गुस्सा
खीँच धर दिया नाक पे मुक्का
गुस्सा उतरा लगे मनाने
तब पत्नी ने मारे ताने
ऐसी भी मेरी क्या गलती
तुमने नाक पकौड़ा कर दी
बोला अरे यही खाया था
पहले क्यों नहीं बताया था
सीधे से गर बना खिलाती
नाक पकौड़ा क्यों हो जाती   ?

***

11 टिप्‍पणियां:

  1. दादा,
    ह.हा.....बहुत खूब...बारिश के मौसम में पकौड़े की कविता हमें हँसा-हँसा
    कर हमें ही पकौड़ा बना गई
    बहरहाल भुलक्कड पति की पत्नी के साथ ज़रूर सहानुभूति है...
    इसीसे मिलती-जुलती कहानियाँ जो बचपन में बहुत सुना करती थी -'खाचिड़ी'
    और 'दही बड़ा', वे भी कुछ ऐसी ही थीं...
    सादर
    मंजु महिमा

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  2. vijay :
    >
    >
    > आ० कमल जी,
    >
    > हास्य कविता में भी आपका कमाल है ।
    >
    > बधाई ।
    >
    > विजय

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  3. आदरणीय दादा,
    >बढ़िया लगी हास्य कविता !
    >सादर,
    > दीप्ति

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  4. Pranava Bharti ✆ द्वारा yahoogroups.com kavyadhara


    वाह दादा
    मजा आ गया|कितने करारे पकौड़े हैं!!
    पर बेचारी पत्नी की नाक पर मुक्का पड़ गया....
    ये तो अन्याय हो गया न.....
    बहुत बढिया ........मुझे नाक पकौड़ा दिखाई दे रही है|
    सादर
    प्रणव भारती

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  5. - sosimadhu@gmail.com
    यह संदेश हटा दिया गया है. संदेश पुनर्स्थापित करें
    ससुराल के पकोड़े स्वादिष्ट लगे मज़ा आगया
    मधु

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  6. deepti gupta ✆ द्वारा yahoogroups.com

    kavyadhara



    =D> applause =D> applause =D> applause

    आदरणीय दादा,

    बढ़िया लगी हास्य कविता !

    सादर,
    दीप्ति

    जवाब देंहटाएं
  7. - murarkasampatdevii@yahoo.co.in
    आ. अग्रज भाई कमल जी,
    पति की गल्ती पर पत्नि को ही मार सहनी पड़ती है | बहुत सुन्दर हास्य रचना | हँसी की फुआर ने मन को भिगो दिया |
    सादर,
    सम्पत.

    श्रीमती संपत देवी मुरारका
    Smt. Sampat Devi Murarka
    लेखिका कवयित्री पत्रकार
    Writer Poetess Journalist
    Hand Phone +91 94415 11238 / +91 93463 93809
    Home +91 (040) 2475 1412 / Fax +91 (040) 4017 5842
    http://bahuwachan.blogspot.com

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  8. Santosh Bhauwala ✆ द्वारामंगलवार, जुलाई 24, 2012 8:02:00 pm

    Santosh Bhauwala ✆ द्वारा yahoogroups.com

    आदरणीय भैया कमल जी ,

    हास्य कविता बहुत मन भायी
    पर पत्नी पर थोड़ी दया आयी
    बिन बात के नाक पकोड़ा हो गई
    ऐसे खाए ससुराल में पकोड़े
    कि पत्नी की शामत आयी

    संतोष भाऊवाला

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  9. - kanuvankoti@yahoo.com

    वाह, वाह, पकौड़े खाने का मन कर आया ...दादा इतना भी मत ललचा इए ऎसी स्वादिष्ट कविताएँ लिख कर ..

    सादर,
    कनु

    जवाब देंहटाएं
  10. - shishirsarabhai@yahoo.com
    वाह !

    सादर,
    शिशिर

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  11. PAKODEN KHAANE MEIN KHOOB MAZAA AAYAA
    HAI . KHILAANE KE LIYE BADHAAEE .

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