रविवार, 15 अप्रैल 2012

गीत सलिला; आज फिर... --संजीव 'सलिल'

गीत सलिला;
आज फिर...
संजीव 'सलिल'
*
आज फिर 
माँ का प्यार पाया है...
पुष्प कचनार मुस्कुराया है.
रूठती माँ तो मुरझता है गुल,
माँ हँसी तो ये खिलखिलाया है...
*
आज बहिना 
दुलार कर बोली:
'भाई! तेरी बलैयाँ लेती हूँ.'
सुन के कचनार ने मुझे देखा 
नेह-निर्झर नवल बहाया है....
*
आज भौजी ने
माथा चूम लिया.
हाथ पर बाँध दी मुझे राखी.
भाल पर केसरी तिलक बनकर
साथ कचनार ने निभाया है....
*
आज हमदम ने
नयन से भेजी
नेह पाती नयन ने बाँची है.
हंसा कचनार झूम भू पे गिरा
पल में संशय सभी मिटाया है....
*
आज गोदी में 
बेटा-बिटिया ले
मैंने सपने भविष्य के देखे.
दैव के अंश में नवांश निरख
छाँह कचनार साथ लाया है....
******
कचनार =
Acharya Sanjiv verma 'Salil'

http://divyanarmada.blogspot.com
http://hindihindi.in

7 टिप्‍पणियां:

  1. achalkumar44@yahoo.com 8 अप्रैल ekavita

    छाँह कचनार साथ लाया है ......

    मन मोहक ।


    Achal Verma

    जवाब देंहटाएं
  2. अचल जी !
    नमन.
    इतनी त्वरित प्रतिक्रिया ... धन्य हुआ. आभार.

    जवाब देंहटाएं
  3. rekha_rajvanshi@yahoo.com.au द्वारा yahoogroups.com

    9 अप्रैल ekavita



    आ० आचार्य जी

    बेहद लुभावनी रचना, बधाई

    रेखा

    जवाब देंहटाएं
  4. rakesh518@yahoo.com

    13 अप्रैल
    ekavita


    एक कचनार की कली में ही
    सारा जग इस तरह समाया है
    गीत में शब्द बना गुँथ गुँथ कर
    आज कचनार मुस्कुराया है.
    सादर

    राकेश

    जवाब देंहटाएं
  5. shar_j_n ✆ shar_j_n@yahoo.com
    ekavita


    आदरणीय आचार्य सलिल जी,
    आपकी रचनाएँ पढ़ीं:
    पुष्प कचनार मुस्कुराया है मन प्रसन्न करने वाली कविता है :)

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  6. SEEDHE - SAADE SHABDON MEIN SUNDAR
    BHAVABHIVYAKTI KE LIYE BADHAAEE .

    जवाब देंहटाएं
  7. ‘आज फिर’ बहुत सुंदर गीत है, बधाई स्वीकारें।

    जवाब देंहटाएं