नरक चौदस / रूप चतुर्दशी पर विशेष रचना:
संजीव 'सलिल'
*
असुर स्वर्ग को नरक बनाते
उनका मरण बने त्यौहार.
देव सदृश वे नर पुजते जो
दीनों का करते उपकार..
अहम्, मोह, आलस्य, क्रोध,
भय, लोभ, स्वार्थ, हिंसा, छल, दुःख,
परपीड़ा, अधर्म, निर्दयता,
अनाचार दे जिसको सुख..
था बलिष्ठ-अत्याचारी
अधिपतियों से लड़ जाता था.
हरा-मार रानी-कुमारियों को
निज दास बनाता था..
बंदीगृह था नरक सरीखा
नरकासुर पाया था नाम.
कृष्ण लड़े, उसका वधकर
पाया जग-वंदन कीर्ति, सुनाम..
राजमहिषियाँ कृष्णाश्रय में
पटरानी बन हँसी-खिलीं.
कहा 'नरक चौदस' इस तिथि को
जनगण को थी मुक्ति मिली..
नगर-ग्राम, घर-द्वार स्वच्छकर
निर्मल तन-मन कर हरषे.
ऐसा लगा कि स्वर्ग सम्पदा
धराधाम पर खुद बरसे..
'रूप चतुर्दशी' पर्व मनाया
सबने एक साथ मिलकर.
आओ हम भी पर्व मनाएँ
दें प्रकाश दीपक बनकर..
'सलिल' सार्थक जीवन तब ही
जब औरों के कष्ट हरें.
एक-दूजे के सुख-दुःख बाँटें
इस धरती को स्वर्ग करें..
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nilesh mathur …
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर! आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामना!
एक-दूजे के सुख-दुःख बाँटें
जवाब देंहटाएंइस धरती को स्वर्ग करें..
sundar !!!
'सलिल' सार्थक जीवन तब ही
जवाब देंहटाएंजब औरों के कष्ट हरें.
एक-दूजे के सुख-दुःख बाँटें
इस धरती को स्वर्ग करें..
बहुत सुन्दर आचार्य जी, बधाई।
अपनी ख्याति के मुताबिक आपने जो दूसरी रचना प्रस्तुत की, उस के लिए तो फिर से साधुवाद देना होगा| नरक चौदश क्यूँ? इस विषय पर आपने बड़ी ही सार्थक, सार गर्भित और बोध गम्य कविता प्रस्तुत की है| यह रचना एक ऐतिहासिक रचना है| सौभाग्य है कि ऐसी रचनायें भी यहाँ पढ़ने को मिल रही हैं|
जवाब देंहटाएंशुभ दीपावली.... दीपावली की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं...
जवाब देंहटाएंकविता के माध्यम से आपने 'रूप चतुर्दशी' पर्व पर भी विशेष प्रकाश डाल दिये है , यह अच्छा है , सुंदर रचना |
जवाब देंहटाएंsalilji
जवाब देंहटाएंbahut sundar rachna hai ,kotishaha badhai
r.k.khare
m.p.nagar,bhopal
आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामाएं
जवाब देंहटाएं“नन्हें दीपों की माला से स्वर्ण रश्मियों का विस्तार -
जवाब देंहटाएंबिना भेद के स्वर्ण रश्मियां आया बांटन ये त्यौहार !
निश्छल निर्मल पावन मन ,में भाव जगाती दीपशिखाएं ,
बिना भेद अरु राग-द्वेष के सबके मन करती उजियार !!
“हैप्पी दीवाली-सुकुमार गीतकार राकेश खण्डेलवाल
बदलते परिवेश मैं,
जवाब देंहटाएंनिरंतर ख़त्म होते नैतिक मूल्यों के बीच,
कोई तो है जो हमें जीवित रखे है ,
जूझने के लिए प्रेरित किये है,
उसी प्रकाश पुंज की जीवन ज्योति,
हमारे ह्रदय मे सदैव दैदीप्यमान होती रहे,
यही शुभकामना!!
दीप उत्सव की बधाई...........