आज की रचना :
संजीव 'सलिल'
ज़िन्दगी हँस के गुजारोगे तो कट जाएगी.
कोशिशें आस को चाहेंगी तो पट जाएगी..
जो भी करना है उसे कल पे न टालो वरना
आयेगा कल न कभी, साँस ही घट जाएगी..
वायदे करना ही फितरत रही सियासत की.
फिर से जो पूछोगे, हर बात से नट जाएगी..
रख के कुछ फासला मिलना, तो खलिश कम होगी.
किसी अपने की छुरी पीठ से सट जाएगी..
दूरियाँ हद से न ज्यादा हों 'सलिल' ध्यान रहे.
खुशी मर जाएगी गर खुद में सिमट जाएगी..
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Acharya Sanjiv Salil
ऐसे सवाल नित उठते हैं..
जवाब देंहटाएंसुन्दर गीत में ढाला है आपने उन्हें!!
BAHUT KHUB
जवाब देंहटाएंApril 28, 2010 9:54 AM