गीत
मानोशी चटर्जी
अब पहले सी बात न होगी
उम्र की वह सौग़ात न होगी
खिलना खिल-खिल हँसना,
झिलमिल तारों के संग आँख-मिचौली
दौड़म भागी, खींचातानी
लड़ना रोना, हँसी-ठिठोली
सच्चे-झूठे किस्सों के संग
दादी की वह रात न होगी
उम्र की वह सौग़ात न होगी
खुले आसमां के नीचे होती थी
सरगो़शी में बातें
सन्नाटा पी कर बेसुध जब
हो जाती थी बेकल रातें
धीमे-धीमे जलती थी जो,
बिना हवा सुलगती थी जो
फिर से आग जला भी लें गर
अब पहले सी बात न होगी
उम्र की वह सौग़ात न होगी
अटक गये कुछ पल सूई पर,
समय ठगा सा टंगा रह गया
जीवन लाठी टेक के चलते-चलते
ठिठक के खड़ा रह गया
बूढ़ी झुर्री टेढ़ी काया
सर पर रख कर भारी टुकनी
सांझ के सूरज की देहरी पर
पहले सी बरसात न होगी
उम्र की वह सौग़ात न होगी
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प्रति गीत:
फिर पहले सी बातें होंगी
संजीव 'सलिल'
*
दिल में अगर हौसला हो तो,
फिर पहले सी बातें होंगी...
*
कहा किसी ने- 'नहीं लौटता
पुनः नदी में बहता पानी'.
पर नाविक आता है तट पर
बार-बार ले नई कहानी..
हर युग में दादी होती है,
होते हैं पोती और पोते.
समय देखता लाड-प्यार के
रिश्तों में दुःख-पीड़ा खोते.
नयी कहानी, नयी रवानी,
सुखमय सारी रातें होंगी.
दिल में अगर हौसला हो तो,
फिर पहले सी बातें होंगी...
*
सखा-सहेली अब भी मिलते,
छिड़ते किस्से, दिल भी खिलते.
रूठ मनाना, बात बनाना.
आँख दिखाना, हँस मुस्काना.
समय नदी के दूर तटों पर-
यादों की बारातें होंगी.
दिल में अगर हौसला हो तो,
फिर पहले सी बातें होंगी...
*
तन बूढा हो साथ समय के,
मन जवान रख देव प्रलय के.
'सलिल'-श्वास रस-खान, न रीते-
हो विदेह सुन गान विलय के.
ढाई आखर की सरगम सुन
कहीं न शह या मातें होंगी.
दिल में अगर हौसला हो तो,
फिर पहले सी बातें होंगी...
*
shriprakash shukla ✆ ekavita
जवाब देंहटाएंwgcdrsps@gmail.com
आदरणीय सलिल जी,
बहुत ही मन मोहक प्रेरणा देती हुयी सशक्त रचना
बधाई स्वीकार करें
सादर
श्रीप्रकाश
nadeem_sharma@yahoo.com - Ekavita
जवाब देंहटाएंसुन्दर!
मानोशी जी ,
जवाब देंहटाएंएक सुंदर रचना के लिए बधाई हो
काफी गहरी बात आप ने सरलता के
साथ कह दी l
नव वर्ष मंगलमय हो l
सस्नेह,
सुरेन्दर