शनिवार, 26 दिसंबर 2009

नव गीत: पग की किस्मत / सिर्फ भटकना -संजीव 'सलिल'

-: नव गीत :-




पग की किस्मत / सिर्फ भटकना



संजीव 'सलिल'

*

राज मार्ग हो

या पगडंडी,

पग की किस्मत

सिर्फ भटकना....

*

सावन-मेघ

बरसते आते.

रवि गर्मी भर

आँख दिखाते.

ठण्ड पड़े तो

सभी जड़ाते.

कभी न थमता

पौ का फटना.

राज मार्ग हो

या पगडंडी,

पग की किस्मत

सिर्फ भटकना....

*

मीरा, राधा,

सूर, कबीरा,

तुलसी, वाल्मीकि

मतिधीरा.

सुख जैसे ही

सह ली पीड़ा.

नाम न छोड़ा

लेकिन रटना.

राज मार्ग हो

या पगडंडी,

पग की किस्मत

सिर्फ भटकना....

*

लोकतंत्र का

महापर्व भी,

रहता जिस पर

हमें गर्व भी.

न्यूनाधिक

गुण-दोष समाहित,

कोई न चाहे-

कहीं अटकना.

राज मार्ग हो

या पगडंडी,

पग की किस्मत

सिर्फ भटकना....

*

समय चक्र

चलता ही जाये.

बार-बार

नव वर्ष मनाये.

नाश-सृजन को

संग-संग पाए.

तम-प्रकाश से

'सलिल' न हटना.

राज मार्ग हो

या पगडंडी,

पग की किस्मत

सिर्फ भटकना....

*

थक मत, रुक मत,

झुक मत, चुक मत.

फूल-शूल सम-

हार न हिम्मत.

'सलिल' चलाचल

पग-तल किस्मत.

मौन चलाचल

नहीं पलटना.

राज मार्ग हो

या पगडंडी,

पग की किस्मत

सिर्फ भटकना....

*

8 टिप्‍पणियां:

  1. आ. आचार्य जी,

    सुन्दर प्रवाहपूर्ण कविता ने मन मोह लिया।

    शकुन्तला बहादुर

    जवाब देंहटाएं
  2. pratibha_saksena@yahoo.com, ekavita

    आ. आचार्य जी!

    बड़ी तथ्यपूर्ण कवितायें होती हैं आपकी - वायवी न होकर ठोस !
    - प्रतिभा.

    जवाब देंहटाएं
  3. 'सलिल' वायवी हो बने, वाष्प- गगन को चूम.
    बरस पड़े भू पर- मचे, नव जीवन की धूम..

    प्रतिभा का सत्संग पा, ऊगें अंकुर नित्य.
    स्नेह-साधना सफल हो, पनपें मूल्य अनित्य..

    जवाब देंहटाएं
  4. shukla_abhinav@yahoo.com

    वाह अति सुन्दर ..

    बहुत दिनों बाद इतना अच्छा नव गीत पढने को मिला.

    आपको अनेक धन्यवाद्.

    थक मत, रुक मत,
    झुक मत, चुक मत.
    फूल-शूल सम-
    हार न हिम्मत.
    'सलिल' चलाचल
    पग-तल किस्मत.
    मौन चलाचल
    नहीं पलटना.
    _______________________
    Abhinav Shukla
    206-694-3353

    जवाब देंहटाएं
  5. amitabh.ald@gmail.com

    आ० आचार्य जी,

    अच्छा नवगीत!

    थक मत, रुक मत,
    झुक मत, चुक मत.
    फूल-शूल सम-
    हार न हिम्मत.
    'सलिल' चलाचल
    पग-तल किस्मत.
    मौन चलाचल
    नहीं पलटना.
    राज मार्ग हो

    प्रभावयुक्त पंक्तियाँ।

    चरैवेति को सार्थक करती हुई!

    सादर

    अमित

    जवाब देंहटाएं
  6. pratapsingh1971@gmail.com

    आदरणीय आचार्य जी

    बहुत ही सुन्दर, ओजपूर्ण और उत्साह वर्धक है यह नवगीत.

    सादर
    प्रताप

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  7. kanhaiyakrishna@hotmail.com

    आ. आचार्य जी,

    सार्थक गीत है

    Krishna Kanhaiya

    जवाब देंहटाएं
  8. shar_j_n ekavita

    आदरणीय सलिल जी,

    अंतिम बंद बहुत ही सुन्दर!

    सादर शार्दुला

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