पारुल
रुन-झुन करती आयी पारुल।
सब बच्चों को भायी पारुल।
बादल गरजे, तनिक न सहमी।
बरखा लख मुस्कायी पारुल।
चम-चम बिजली दूर गिरी तो,
उछल-कूद हर्षायी पारुल।
गिरी-उठी, पानी में भीगी।
सखियों सहित नहायी पारुल।
मैया ने जब डाँट दिया तो-
मचल-रूठ-गुस्सायी पारुल।
छप-छप खेले, ता-ता थैया।
मेंढक के संग धायी पारुल।
'सलिल' धार से भर-भर अंजुरी।
भिगा-भीग मस्तायी पारुल।
-संजीव 'सलिल'
क्या पारुल मन को आपने मोह लिया ......मै भी बच्चा जैसा ही अनुभव कर रहा हुँ.
जवाब देंहटाएंJuly 7, 2009 1:18 PM
बहुत खूब है तुम्हरी पारुल
जवाब देंहटाएंसबके मन को भायी पारुल
धन्यवाद
July 7, 2009 2:01 PM
रुन-झुन करती आयी पारुल।
जवाब देंहटाएंसब बच्चों को भायी पारुल।
बादल गरजे, तनिक न सहमी।
बरखा लख मुस्कायी पारुल।
चम-चम बिजली दूर गिरी तो,
उछल-कूद हर्षायी पारुल।
गिरी-उठी, पानी में भीगी।
सखियों सहित नहायी पारुल।
मैया ने जब डाँट दिया तो-
मचल-रूठ-गुस्सायी पारुल।
छप-छप खेले, ता-ता थैया।
मेंढक के संग धायी पारुल।
'सलिल' धार से भर-भर अंजुरी।
भिगा-भीग मस्तायी पारुल।
ग़ज़ल की form में एक अच्छी कविता
July 7, 2009 4:06 PM
क्या बात है पारुल की
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
सादर
रचना
July 7, 2009 10:02 PM
LOVLY PARUL...
जवाब देंहटाएंJuly 8, 2009 5:59 AM
पारुल बड़ी प्यारी है
जवाब देंहटाएंJuly 8, 2009 11:43 PM
माननीय,
जवाब देंहटाएंएक मासूम कविता | एसी कविताये ही अमर बनती है क्योंकि इन्हें कागज कलम की दरकार नहीं होती | सहज प्रवाही मुख सुखकारी |
सादर
July 11, 2009 8:37 AM
पारुल की तरह मैं भी हर्षित हो गयी
जवाब देंहटाएंJuly 12, 2009 6:08 PM
dschauhan...
जवाब देंहटाएंबारिश में खूब नहाये पारुल के संग!
सभी बहुत हर्षाये पारुल के संग!!
संजीव जी बहुत अच्छी और मासूम सी कविता के लिए बधाई!
देवेन्द्र सिंह चौहान
July 13, 2009 11:42 AM
mantramugdh kar diya ........
जवाब देंहटाएंwaah
waah
badhaai !
July 11, 2009 2:08 AM
पारुल जिनके मन रूचि,
जवाब देंहटाएंउन सबका आभार.
पारुल की मुस्कान हर,
ले आती त्यौहार.
Lovely...Nice
जवाब देंहटाएंपारुल ने मन मोह लिया.
जवाब देंहटाएंsaras, saral baal geet.
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