क्षणिकाएँ
सरला खरे, भोपाल
जब देश पर विपत्ति आएगी
तब काम आएगा
विदेशी बैंकों में
संचित किया धन॥
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देश जूझ रहा है,
मंदी की मार है.
सकल देश में
चुनाव की बहार है॥
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क्या पियेंगे पानी?
कैसे कटेंगी रातें?
बिन पानी सब सून।
बिन बिजली सब अँधेरा॥
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पहले भी थे मंत्री,
सरकार भी थी जोरदार।
आगे भी आयेंगे,
ऐसे ही कर्णधार?
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वादा है- छवि सुधारेंगे।
जिनसे वोट खरीदे है,
उन्हीं को तो तारेंगे॥
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rochak kshanikayen.
जवाब देंहटाएंPathneeya hain.
जवाब देंहटाएंपोल खोलक भावनाएं
जवाब देंहटाएंजो भावनाओं में ही
खनक पैदा कर दें