ठांडे जनक संकुचाएँ
ठांडे जनक संकुचाएँ, राम जी को का देऊँ ?...
हीरा पन्ना नीलम मोती, मूंगा माणिक लाल।
राम जी को का देऊँ ?
रेशम कोसा मखमल मलमल खादी के थान हजार।
राम जी को का देऊँ ?
कुंडल बाजूबंद कमरबंद, मुकुट अंगूठी नौलख हार।
राम जी को का देऊँ ?
स्वर्ण-सिंहासन चांदी का हौदा, हाथीदांत की चौकी।
राम जी को का देऊँ ?
गोटा किनारी, चादर परदे, धोती अंगरखा शाल।
राम जी को का देऊँ ?
काबुली घोडे हाथी गौएँ शुक सारिका रसाल।
राम जी को का देऊँ ?
चंदन पलंग, आबनूस पीढा, शीशम मेज सिंगार।
राम जी को का देऊँ ?
अवधपति कर जोड़ मनाएं, चाहें कन्या चार।
राम जी को का देऊँ ?
'दुल्हन ही सच्चा दहेज़ है, मत दे धन सामान।'
राम जी को का देऊँ ?
राम लक्ष्मण भरत शत्रुघन, देन बहु विध सम्मान।
राम जी को का देऊँ ?
शुभाशीष दें जनक-सुनयना, 'शान्ति' होंय बलिहार।
राम जी को का देऊँ ?
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Achchha bhajan.
जवाब देंहटाएंMelodius Folk
जवाब देंहटाएंye bhajan is patrika ke star ko aur upar kar rahe hain .............. bahut badhiya
जवाब देंहटाएंहमारे संस्कृति की पहचान ऐसे गीतों का प्रचालन दिनों-दिन कम होना और पश्चिमी या फिल्मी संगीत पर अधकचरा और भोंडा नृत्य संगीत देखना सजा से कम नहीं.
जवाब देंहटाएंलेखिका ने सरस-मधुर गीतों में समूचा भावः-लोक बसा लिया है. उनकी पुण्य-स्मृति को नमन.
दिव्या नर्मदा परिवार को शुभ कामनाएँ.