दिव्य नर्मदा .......... Divya Narmada

दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.

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बुधवार, 2 दिसंबर 2009

नवगीत: पलक बिछाए / राह हेरते... संजीव 'सलिल'

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नवगीत: आचार्य संजीव 'सलिल' पलक बिछाए राह हेरते... * जनगण स्वामी खड़ा सड़क पर. जनसेवक जा रहा झिड़ककर. लट्ठ पटकती...
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नवगीत: जब तक कुर्सी, तब तक ठाठ...

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नवगीत: जब तक कुर्सी, तब तक ठाठ... * नाच जमूरा, नचा मदारी. सत्ता भोग, करा बेगारी. कोइ किसी का सगा नहीं है. स्वार्थ साधने करते यार...
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