बुधवार, 6 फ़रवरी 2013

उल्लाला मुक्तिका: दिल पर दिल बलिहार है -संजीव 'सलिल'

 
उल्लाला मुक्तिका:
दिल पर दिल बलिहार है
संजीव 'सलिल'
*
दिल पर दिल बलिहार है,
हर सूं नवल निखार है..

प्यार चुकाया है नगद,
नफरत रखी उधार है..

कहीं हार में जीत है,
कहीं जीत में हार है..

आसों ने पल-पल किया
साँसों का सिंगार है..

सपना जीवन-ज्योत है,
अपनापन अंगार है..

कलशों से जाकर कहो,
जीवन गर्द-गुबार है..

स्नेह-'सलिल' कब थम सका,
बना नर्मदा धार है..

******

16 टिप्‍पणियां:

  1. ram shiromani pathak

    ..बहुत खूब बधाई sir g............

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  2. rajesh kumari

    बहुत बढ़िया उल्लाला मुक्तिका हेतु बधाई

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  3. Saurabh Pandey

    वाह .. उल्लाला का अनुकरणीय उदाहरण !

    हर सून - यह हरसू या हरसूँ ही है न ?

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  4. SANDEEP KUMAR PATEL
    वाह वाह वाह सर जी

    बहुत बहुत बधाई आपको इस काव्य हेतु वाह

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  5. arun kumar nigam
    निर्मल सलिल विचार है

    शब्द शब्द श्रंगार है

    उल्लाला दर्शन भरा

    बहुत बहुत आभार है |

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  6. Laxman Prasad Ladiwala

    दिल पर दिल बलिहार है
    संजीव सलिल बहार है
    शब्दों का भण्डार है
    सुन्दर छंद पढने मिले
    बहुत बहुत आभार है ।

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  7. Dr.Prachi Singh

    बहुत सुन्दर उल्लाला मुक्तिका आदरणीय संजीव सलिल जी. हार्दिक बधाई स्वीकारे. सादर.

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  8. sanjiv verma 'salil'

    रामशिरोमणि जी, राजेश जी, सौरभ जी, संदीप जी, अरुण जी, लक्ष्मण जी, प्राची जी
    नव प्रयोग को सराहने हेतु आभार. सौरभ जी ! आप सही हैं. त्रुटि हेतु खेद है.

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  9. Ashok Kumar Raktale

    प्यार चुकाया है नगद,
    नफरत रखी उधार है..

    कहीं हार में जीत है,
    कहीं जीत में हार है........ वाह अतिसुन्दर.

    परम आदरणीय सलिल जी उल्लाला मुक्तिका पर सादर हार्दिक बधाई स्वीकारें.

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  10. Indira Pratap yahoogroups.com kavyadhara


    वाह ! संजीव भाई , दिद्दा

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  11. - madhuvmsd@gmail.com

    नेह चुकाया नकद , नफरत रखी उधार ;
    आ. संजीव जी
    क्या सुन्दर भाव है और कितना सटीक , आपका भेजा ' आप कहाँ है ' चित्र देखा और एनेको प्रशन उठाता चला गया बड़ा ही चिंतनशील सवाल है
    , खैर अब हम कहाँ पहुंचेगे ?
    मधु

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  12. deepti gupta द्वारा yahoogroups.com
    आदरणीय कविवर,

    उल्लाला मुक्तिका: ------ एक बहुत मनभावन रचना!

    इसकी सराहना में सहसा ही हमारे मुँह से ये गीत निकला जो पिछले वर्ष सुपरहिट गानों में Top पर रहा !
    और 'विद्या बालन' को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार दिलवा गया !
    उह लाला ......उह लाला ......उह लाला ......उह लाला ......उह लाला ......उह लाला ......!
    सादर,

    दीप्ति

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  13. Kanu Vankoti

    वाह ,,,वाह ,,,क्या मस्त अंदाज़ है प्रतिक्रया का . दीदी आपके sense of humour की दाद देनी पड़ेगी . मुझे मुक्तिका तो बढ़िया लगी ही, पर आपकी टिप्पणी उससे भी चार कदम आगे लगी.

    संजीव भाई, मेरी तरफ से ढेर सराहना स्वीकार कीजिए .

    सादर,
    कनु

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  14. - shishirsarabhai@yahoo.com की आदरणीय संजीव जी,
    आपकी मुक्तिका के क्या कहने ! *:) happy


    दिल पर दिल बलिहार है.
    हर सून नवल निखार है..

    नेह चुकाया है नगद,
    नफरत रखी उधार है..,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,वाह बहुत खूब !

    मन भावन रचना , सच में ' ऊह लाला.... '

    सादर
    शिशिर

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  15. sn Sharma द्वारा yahoogroups.com

    आदरणीय सदस्य गण ,
    काव्य का निस्वार्थ सेवावृत्त ,"सलिल " ने ठानों है
    आज भी सत्य है " गुण ना हेरानो गुण-ग्राहक हेरानो है "
    हम उनकी सेवाओं को कितना मान दे पा रहे हैं ?
    उनपर आने वाली प्रतिक्रियाएं साक्षी हैं ।

    कमल ददा

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  16. टिप्पणी बड़ी हैं मस्त मस्त... सभी का आभार

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