उल्लाला मुक्तिका:
दिल पर दिल बलिहार है
संजीव 'सलिल'
*
दिल पर दिल बलिहार है,
हर सूं नवल निखार है..
प्यार चुकाया है नगद,
नफरत रखी उधार है..
कहीं हार में जीत है,
कहीं जीत में हार है..
आसों ने पल-पल किया
साँसों का सिंगार है..
सपना जीवन-ज्योत है,
अपनापन अंगार है..
कलशों से जाकर कहो,
जीवन गर्द-गुबार है..
स्नेह-'सलिल' कब थम सका,
बना नर्मदा धार है..
******
संजीव 'सलिल'
*
दिल पर दिल बलिहार है,
हर सूं नवल निखार है..
प्यार चुकाया है नगद,
नफरत रखी उधार है..
कहीं हार में जीत है,
कहीं जीत में हार है..
आसों ने पल-पल किया
साँसों का सिंगार है..
सपना जीवन-ज्योत है,
अपनापन अंगार है..
कलशों से जाकर कहो,
जीवन गर्द-गुबार है..
स्नेह-'सलिल' कब थम सका,
बना नर्मदा धार है..
******
ram shiromani pathak
जवाब देंहटाएं..बहुत खूब बधाई sir g............
rajesh kumari
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया उल्लाला मुक्तिका हेतु बधाई
Saurabh Pandey
जवाब देंहटाएंवाह .. उल्लाला का अनुकरणीय उदाहरण !
हर सून - यह हरसू या हरसूँ ही है न ?
SANDEEP KUMAR PATEL
जवाब देंहटाएंवाह वाह वाह सर जी
बहुत बहुत बधाई आपको इस काव्य हेतु वाह
arun kumar nigam
जवाब देंहटाएंनिर्मल सलिल विचार है
शब्द शब्द श्रंगार है
उल्लाला दर्शन भरा
बहुत बहुत आभार है |
Laxman Prasad Ladiwala
जवाब देंहटाएंदिल पर दिल बलिहार है
संजीव सलिल बहार है
शब्दों का भण्डार है
सुन्दर छंद पढने मिले
बहुत बहुत आभार है ।
Dr.Prachi Singh
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर उल्लाला मुक्तिका आदरणीय संजीव सलिल जी. हार्दिक बधाई स्वीकारे. सादर.
sanjiv verma 'salil'
जवाब देंहटाएंरामशिरोमणि जी, राजेश जी, सौरभ जी, संदीप जी, अरुण जी, लक्ष्मण जी, प्राची जी
नव प्रयोग को सराहने हेतु आभार. सौरभ जी ! आप सही हैं. त्रुटि हेतु खेद है.
Ashok Kumar Raktale
जवाब देंहटाएंप्यार चुकाया है नगद,
नफरत रखी उधार है..
कहीं हार में जीत है,
कहीं जीत में हार है........ वाह अतिसुन्दर.
परम आदरणीय सलिल जी उल्लाला मुक्तिका पर सादर हार्दिक बधाई स्वीकारें.
Indira Pratap yahoogroups.com kavyadhara
जवाब देंहटाएंवाह ! संजीव भाई , दिद्दा
- madhuvmsd@gmail.com
जवाब देंहटाएंनेह चुकाया नकद , नफरत रखी उधार ;
आ. संजीव जी
क्या सुन्दर भाव है और कितना सटीक , आपका भेजा ' आप कहाँ है ' चित्र देखा और एनेको प्रशन उठाता चला गया बड़ा ही चिंतनशील सवाल है
, खैर अब हम कहाँ पहुंचेगे ?
मधु
deepti gupta द्वारा yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंआदरणीय कविवर,
उल्लाला मुक्तिका: ------ एक बहुत मनभावन रचना!
इसकी सराहना में सहसा ही हमारे मुँह से ये गीत निकला जो पिछले वर्ष सुपरहिट गानों में Top पर रहा !
और 'विद्या बालन' को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार दिलवा गया !
उह लाला ......उह लाला ......उह लाला ......उह लाला ......उह लाला ......उह लाला ......!
सादर,
दीप्ति
Kanu Vankoti
जवाब देंहटाएंवाह ,,,वाह ,,,क्या मस्त अंदाज़ है प्रतिक्रया का . दीदी आपके sense of humour की दाद देनी पड़ेगी . मुझे मुक्तिका तो बढ़िया लगी ही, पर आपकी टिप्पणी उससे भी चार कदम आगे लगी.
संजीव भाई, मेरी तरफ से ढेर सराहना स्वीकार कीजिए .
सादर,
कनु
- shishirsarabhai@yahoo.com की आदरणीय संजीव जी,
जवाब देंहटाएंआपकी मुक्तिका के क्या कहने ! *:) happy
दिल पर दिल बलिहार है.
हर सून नवल निखार है..
नेह चुकाया है नगद,
नफरत रखी उधार है..,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,वाह बहुत खूब !
मन भावन रचना , सच में ' ऊह लाला.... '
सादर
शिशिर
sn Sharma द्वारा yahoogroups.com
जवाब देंहटाएंआदरणीय सदस्य गण ,
काव्य का निस्वार्थ सेवावृत्त ,"सलिल " ने ठानों है
आज भी सत्य है " गुण ना हेरानो गुण-ग्राहक हेरानो है "
हम उनकी सेवाओं को कितना मान दे पा रहे हैं ?
उनपर आने वाली प्रतिक्रियाएं साक्षी हैं ।
कमल ददा
टिप्पणी बड़ी हैं मस्त मस्त... सभी का आभार
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