दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु
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बुधवार, 9 जून 2021
द्विपदियाँ (शे'र)
द्विपदियाँ (शे'र) संजीव * आँसू का क्या, आ जाते हैं किसका इन पर जोर चला है? * आँसू वह दौलत है याराँ जिसको लूट न सके जमाना * बहे आँसू मगर इस इश्क ने नही छोड़ा दिल जलाया तो बने तिल ने दिल ही लूट लिया * ९-६-२०१५
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