दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु
A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
सोमवार, 24 मई 2021
मुक्तक
मुक्तक * भारती की आरती, सूरज उतारे धन्य हो. मंजु भारत भूमि से, ज्यादा न ज्यादा अन्य हो.. पा विजय कर जोड़ सीताराम बोलें हो अचल. हर्ष-दुःख दोनों में होते 'सलिल' के नयना सजल..
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