दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु
A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
गुरुवार, 1 अप्रैल 2021
सोरठा, यमक, श्लेष
छंद सोरठा अलंकार यमक * आ समान जयघोष, आसमान तक गुँजाया आस मान संतोष, आ समा न कह कराया *** छंद सोरठा अलंकार श्लेष सूरज-नेता रोज, ऊँचाई पा तपाते झुलस रहे हैं लोग, कर पूजा सर झुकाते *** संवस १.४.२०१९
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें