दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु
A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
रविवार, 11 अप्रैल 2021
क्षणिका गीध
क्षणिका गीध * जब स्वार्थसाधन और उदरपोषण तक रह जाए नाक की सीध तब समझ लो आदमी नहीं रह गया है आदमी बन गया है गीध। *** ११-४-२०२०
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