दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु
A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
गुरुवार, 4 मार्च 2021
मुक्तक:
मुक्तक: फूल फूला तो तभी जब सलिल ने दी है नमी न तो माटी ने, न हवाओं ने ही रखी है कमी सारे गुलशन ने महककर सुबह अगवानी की सदा मुस्कान मिले, पास नहीं आए गमी. ४-३-२०१८
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें