दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु
A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
रविवार, 21 मार्च 2021
मुक्तक
मुक्तक * मौन वह कहता जिसे आवाज कह पाती नहीं. क्या क्षितिज से उषा-संध्या मौन हो गाती नहीं. शोरगुल से शीघ्र ही मन ऊब जाता है 'सलिल'- निशा जो स्तब्ध हो तो क्या तुम्हें भाती नहीं? २१-३-२०१० *
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