शनिवार, 17 अक्टूबर 2020

धनतेरस, रविशंकर छंद

धन तेरस पर नव छंद
गीत
*
छंद: रविशंकर
विधान:
१. प्रति पंक्ति ६ मात्रा
२. मात्रा क्रम लघु लघु गुरु लघु लघु
***
धन तेरस
बरसे रस...
*
मत निन्दित
बन वन्दित।
कर ले श्रम
मन चंदित।
रचना कर
बरसे रस।
मनती तब
धन तेरस ...
*
कर साहस
वर ले यश।
ठुकरा मत
प्रभु हों खुश।
मन की सुन
तन को कस।
असली तब
धन तेरस ...
*
सब की सुन
कुछ की गुन।
नित ही नव
सपने बुन।
रख चादर
जस की तस।
उजली तब
धन तेरस
***
salil.sanjiv@gmail.com, ९४२५१८३२४४

1 टिप्पणी:

  1. बहुत खूब आद. 👌👌💐💐
    अगर मात्रिक है तो मात्रिक दिखना चाहिए। गुरु की जगह गुरु ही है। एकाध जगह गुरु को दो लघु में भी बदलना चाहिए। वैसे जैसा आपने लिखा है, वो भी ठीक ही है।

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