दोहा सलिला
जो अच्छा उसको दिखे, अच्छा सब संसार धन्य भाग्य जो पा रहा, 'सलिल' स्नेह उपहार * शब्दों के संसार में, मिल जाते हैं मीत पता न चलता समय का, कब जाता दिन बीत * शरण मिली कमलेश की, 'सलिल' हुआ है धन्य दिव्या कविता सा नहीं, दूज मीत अनन्य *
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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