दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु
A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
रविवार, 27 सितंबर 2020
दोहा
दोहा- * पुरुष कभी स्वामी लगा, कभी चरण का दास कभी किया परिहास तो, कभी दिया संत्रास * चित्र गुप्त जिसका, बनी मूरत कैसे बोल? यदि जयंती तो मरण दिन, बतला मत कर झोल ***
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें