कमलेश्वरी सवैया
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न हल्ला मचाएँ, धुआँ भी न फैला, करें गंदगी भी न मैं आप।
न पूरे तलैया, न तालाब राहों, नदी को न मैली करें आप।।
न तोड़ें घरौंदा, न काटें वनों को, न खोदें पहाड़ी सरे आम-
न रूठे धरा ये, न गुस्सा करें मेघ, इन्सान न पाए कहीं शाप।।
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विधान: प्रति पद 7 (यगण) +लघु
30.3.2018
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