शिव सत के पर्याय हैं,
शिव सुंदरता लीन।
कौन न सुंदर-शिव यहाँ,
शिव में सृष्टि विलीन।।
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अशिव न शिव बिन रह सके,
शिव न अशिव पर्याय।
कंकर को शंकर करें,
शिव रच नव अध्याय।।
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शिव की प्राप्ति न है सहज,
मिलते बिना प्रयास।
उमा अपर्णा हो वरें,
शिव जी को सायास।।
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शंकर हर कंटक हरें,
अमर न कंटक बोल।
अमरकंटकी की लहर,
देती अमृत घोल।।
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मन में कल मेकल रखे,
मेकलसुता सुशांति।
कलकलकल कर नर्मदा,
हर लेती हर भ्रांति।।
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तन-मन आनंदित करे,
प्रवह नर्मदा नीर।
दुख न दर्द बाक़ी रहे,
करें पीर बेपीर।।
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७.१.२०१८
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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