शिव करते कल्याण हँस
शिवा करें मांगल्य.
शिव-तनया आनंद दे,
तारें हर वैकल्य.
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शिव सत्ता वरते नहीं,
रहें लोक के साथ.
अजर-अमर होते हुए,
हैं मर्त्यों के नाथ.
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लोक नाथ हैं सदाशिव,
करें शोक का नाश.
शंख बजा, बम-बम कहो,
कटे अमंगल-पाश.
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हर हरते हैं कष्ट हर,
तजें नहीं मुख मोड़.
बिना कामना भज सलिल,
भक्ति-भाव मत छोड़.
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भूत अभूत प्रभूत तप,
तापस शिव-तल्लीन.
शिवा तापसी सर्वदा,
शिव हैं उनमें लीन.
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नीर-क्षीर हैं शिव-शिवा,
राग-द्वेष से मुक्त.
निर्मल-मन शिव-भक्ति कर,
हो हंसा उन्मुक्त.
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कंकर-पत्थर ज्यों बनें,
घिस-घिस कर शिवलिंग.
त्यों शिव-शिव जप नित सलिल,
जुड़ जाए शिव-लिंक.
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26.12.2017
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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