शिव को भजकर, भूल मत,
श्वास-श्वास रख साथ.
कृपा चाहता तो नवा,
शिवा-चरण में माथ.
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शिवा पुनीता सुनीता,
शिवा धीर-गंभीर.
शिवा बिना शिव अधूरे,
शिवानंद खो पीर.
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शिव सरगम हैं, शिवा स्वर.
ये लय हैं, वे तान.
वाक्-शब्द असमर्थ हैं,
कैसे करें बखान?
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भाव स्वभाव बना सलिल,
मेटें शिवा अभाव.
भक्ति रहे शिव-प्रति अटल,
सुंदर तभी निभाव.
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'बम' बस रहे मसान में,
कहें मृत्यु लो जीत.
'भोले' कहते भोग ले,
मत हो तू भयभीत.
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14.12.2017
www.divyanarmada.in
#हिन्दी_ब्लोगर
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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