आज का लेखा
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प्रभु तो प्रभु है, ऊपर हो या नीचे हो.
नहीं रेल के प्रभु सा आंखें मीचे हो.
निचली श्रेणी की करता कुछ फ़िक्र न हो-
ऊँची श्रेणी के हित लिए गलीचे हो.
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रेल पटरी से उतरते जा रही
यात्रियो को अन्त तक पहुँचा रही
टिकिट थोड़ी यात्रा का था लिया
पार भव से मुफ़्त में करवा रही.
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