दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु
A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
शुक्रवार, 10 मार्च 2017
muktak
मुक्तक
कांता रॉय
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साँझ की छाया ढली, फिर याद कोई आ गया
याद चंदन, वदन पुलकित, कौन मन पर छा गया
छवि मनोहर आँख में प्रतिभासती मन हर रही सुनहली यादों के घोड़े चढ़ मुझे हरषा गया
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