नीरव निसर्ग की मुखर प्राण ।
गुंजित कल-छल के मधुर गान ।
ऐश्वर्यमयी महिमा शालिनी-
चिर नवल नर्मदा लो प्रणाम ।
*
भक्ति हो भावुक जनों की ।
शक्ति हो साधक जनों की ।
विपुल वैभव से अलंकृत-
शांति सुख भौतिक जनों की ।
*
यह जयंती हो चिरंतन ।
स्वप्न रच लें नित्य नूतन ।
भूखंड की श्रृंगार तुम-
हो अलौकिक और पावन ।
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