मंगलवार, 13 जनवरी 2015

bundeli gazal: gupteshwar

बुंदेली ग़ज़ल:
गुप्तेश्वर द्वारका गुप्त 
*
उनको तकुआ टेड़ौ हो गओ
बातन बीच बखेड़ौ हो गओ  

टंटैया सौ दुबरौ-पतरौ 
लम्मों खूब बसेड़ौ हो गओ 

जौन छुअत ते बिलकुल नें जू 
मैंगौ ओई चचेड़ौ हो गओ 

पर की सालै जिऐ लगाओ 
नानों पौधा पेड़ौ हो गओ 

मातादाई नें दओ चरपेटा 
आँख बची पै भेंड़ौ हो गओ 

लदो-फरो तागत खों धार लो 
थानों खाव लबेड़ौ हो गओ 

हर्र आंवरौ संग मिलावे 
त्रिफला बीच बहेड़ौ हो गओ   

*
मकान  ७६९, गली १७, जे. डी. ए. मार्केट के पीछे 
शांति नगर, दमोह नाका, जबलपुर ४८२००१
चलभाष: ८२२५० ३६ ७२८  

1 टिप्पणी:

  1. 'Dr.M.C. Gupta' mcgupta44@gmail.com

    बहुत सुंदर ग़ज़ल है. मतला कमाल का है. धन्यवाद.

    सुझाव--

    हर आंवरौ संग मिलावे
    त्रिफला बीच बहेड़ौ हो गओ

    >>>

    हर्र आंवरौ संग मिलावे
    त्रिफला बीच बहेड़ौ हो गओ

    --ख़लिश

    जवाब देंहटाएं