शुक्रवार, 9 जनवरी 2015

2 kshanikayen: sindhi anuwad sahit

9-1-2015 क्षणिका, संजीव, देवी नागरानी, सिंधी, काव्यानुवाद,

3 टिप्‍पणियां:

  1. anand pathak akpathak317@yahoo.co.in

    आ0 सलिल जी
    आ0 नांगरानी जी का सिन्धी भाषा के अलावा उर्दू और हिन्दी पर भी समान अधिकार है और वो ग़ज़लें भी अच्छा कहती है
    भावानुवाद अच्छा उतरा है
    बधाई
    सादर

    आनन्द पाठक,जयपुर
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  2. आनंद जी, आभार.
    देवी नागरानी जी कई विधाओं में सृजन करती हैं. उन्होंने दोहे, हाइकु और माहिये भी कहे हैं. उनका आभार।

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  3. मंजु महिमा manjumahimab8@gmail.comरविवार, जनवरी 11, 2015 11:26:00 am

    मंजु महिमा manjumahimab8@gmail.com

    आद. देवी जी,
    सुंदर अनुवाद के लिए आपका अभिनंदन...इस प्रकार आप दोनों भाषाओं को समृद्ध
    कर है हैं...यह बहुत ही सुंदर और भाषा-उपयोगी कार्य है....बधाई...और
    शुभकामनाओं के साथ---
    सादर
    मंजु महिमा.

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