दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु
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शुक्रवार, 9 जनवरी 2015
2 kshanikayen: sindhi anuwad sahit
9-1-2015 क्षणिका, संजीव, देवी नागरानी, सिंधी, काव्यानुवाद,
आद. देवी जी, सुंदर अनुवाद के लिए आपका अभिनंदन...इस प्रकार आप दोनों भाषाओं को समृद्ध कर है हैं...यह बहुत ही सुंदर और भाषा-उपयोगी कार्य है....बधाई...और शुभकामनाओं के साथ--- सादर मंजु महिमा.
anand pathak akpathak317@yahoo.co.in
जवाब देंहटाएंआ0 सलिल जी
आ0 नांगरानी जी का सिन्धी भाषा के अलावा उर्दू और हिन्दी पर भी समान अधिकार है और वो ग़ज़लें भी अच्छा कहती है
भावानुवाद अच्छा उतरा है
बधाई
सादर
आनन्द पाठक,जयपुर
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आनंद जी, आभार.
जवाब देंहटाएंदेवी नागरानी जी कई विधाओं में सृजन करती हैं. उन्होंने दोहे, हाइकु और माहिये भी कहे हैं. उनका आभार।
मंजु महिमा manjumahimab8@gmail.com
जवाब देंहटाएंआद. देवी जी,
सुंदर अनुवाद के लिए आपका अभिनंदन...इस प्रकार आप दोनों भाषाओं को समृद्ध
कर है हैं...यह बहुत ही सुंदर और भाषा-उपयोगी कार्य है....बधाई...और
शुभकामनाओं के साथ---
सादर
मंजु महिमा.