नवगीतः
१.
- ओमप्रकाश तिवारी
नये वर्ष तू बता
किस तरह
करूँ तेरी अगवानी !
जाने कैसे
बदल रहा है
मौसम अपना रंग,
खड़ी फसल पर
ओलों ने फिर
किया रंग में भंग ;
बेमौसम
खेतों में छहरा
पानी ही पानी।
देह बुजुर्गों
की सिकुड़ी है
ओढ़े पड़े रजाई,
सूरज की
हड़ताल चल रही
पड़ता नहीं दिखाई;
सर-सर बहती
हवा कर रही
तन से मनमानी।
जेब गरम है
जिनकी, पहुँचे
शिमला और मनाली,
रैन बसेरे
वालों का क्या
जिनकी जेबें खाली ;
शोर जश्न का
दबा रहा है
मजबूरों की वाणी
.
२.
- संजीव
.
काल चक्र का
महाकाल के भक्त
करो अगवानी
.
तपूँ , जड़ाऊँ या बरसूँ
नाखुश होंगे बहुतेरे
शोर-शांति
चाहो ना चाहो
तुम्हें रहेंगे घेरे
तुम लड़कर जय वरना
चाहे सूखा हो या पानी
बहा पसीना
मेहनत कर
करना मेरी अगवानी
.
चलो, गिरो उठ बढ़ो
शूल कितने ही आँख तरेरे
बाधा दें या
रहें सहायक
दिन-निशि, साँझ-सवेरे
कदम-हाथ गर रहे साथ
कर लेंगे धरती धानी
कलम उठाकर
करें शब्द के भक्त
मेरी अगवानी
.
शिकवे गिले शिकायत
कर हल होती नहीं समस्या
सतत साधना
से ही होती
हरदम पूर्ण तपस्या
स्वार्थ तजो, सर्वार्थ साधने
बोलो मीठी बानी
फिर जेपी-अन्ना
बनकर तुम करो
मेरी अगवानी
.
Ram Gautam gautamrb03@yahoo.com
जवाब देंहटाएंआ. ओमप्रकाश तिवारी जी,
नवगीतः नव वर्ष में जाड़े की मार से शिकायत करती
रचना में, जिंदगी के यथार्थ वर्णन के लिए; बधाई !!!
नव वर्ष की ढेर सारी हार्दिक मंगल शुभकामनाओं के साथ-
सादर- आरजी, न्यू जर्सी
kusum sinha kusumsinha2000@yahoo.com
जवाब देंहटाएंpriy om prakashjee
ek bahut hee sundar rachna ke liye dher saree badhai sweekar karen kusum sinha
Om Prakash Tiwari omtiwari24@gmail.com
जवाब देंहटाएंआदरणीय आचार्य सलिल जी,
पूरी ईमानदारी से स्वीकार कर रहा हूँ कि मेरी कविता की प्रतिक्रिया में लिखा गया आपका नवगीत वाकई नहले पे दहला और मेरे नवगीत से 21 है। आपको नमन् ।
सादर
ओमप्रकाश तिवारी
जवाब देंहटाएंvijay3@comcast.net
ओमप्रकाश जी एवं संजीव जी,
आप दोनो की रचनाएँ अच्छी लगीं। हार्दिक बधाई।
सादर,
विजय निकोर
achal verma achalkumar44@yahoo.com
जवाब देंहटाएंनव वर्ष सदा मंगल मय हो , हर खुशी मिले जीवन में
तन सवस्थ रहे , मन आनंद में सराबोर हर क्षण में
परिवार में हरपल खुशी रहे , और शांति रहे आँगन में ॥ । .......... अचल
achal verma achalkumar44@yahoo.com
जवाब देंहटाएंनव वर्ष सदा मंगल मय हो , हर खुशी मिले जीवन में
तन सवस्थ रहे , मन आनंद में सराबोर हर क्षण में
परिवार में हरपल खुशी रहे , और शांति रहे आँगन में ॥ । .......... अचल
Kusum Vir kusumvir@gmail.com
जवाब देंहटाएंह्रदय स्पर्शी, यथार्थपरक और सारगर्भित नवगीत, तिवारी जी l
सराहना के साथ,
सादर,
कुसुम वीर
Kusum Vir kusumvir@gmail.com
जवाब देंहटाएंह्रदय स्पर्शी, यथार्थपरक और सारगर्भित नवगीत, तिवारी जी l
सराहना के साथ,
सादर,
कुसुम वीर
अभिन्न ओम जी
जवाब देंहटाएंनमन.
आपके नवगीत की सहजता, सामयिकता और सशक्तता ने ही उस पर रचने को प्रेरित किया. आपकी रचना सामर्थ्य, विनम्रता और सरलता श्लाघ्य है. प्रस्तुत नवगीत का उत्स आपकी रचना अर्थात आप ही हैं. मैं तो निमित्त मात्र हूँ. अनंत मंगल कामनाएं.
Indra Pratap sharma
जवाब देंहटाएंसंजीव भाई कविता बहुत सुन्दर है | पहले आपको नव वर्ष की शुभ कामनाएँ दे दूँ |आपका नव वर्ष मंगल मय हो |
Indra Pratap sharma
manmohan bhatiya
जवाब देंहटाएंअच्छा लिखा है।
vishwajeet kumar
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर. बधाई सादर आभार आपका. नमन