- मुक्तक सलिला:
- मंगल पर पग रख दिया
नाम देश का कर दिया
इस रो में कोई नहीं-
इसरो ने साबित किया।
रो = कतार, पंक्ति* - शक्ति पर्व है, भक्ति पर्व है
सीमा पर जो घटित हो रहा
उसे देखकर दिल रोता है
क्यों निवेश ही साध्य-सर्व है?
* - कोई न ले चीनी सामान
'लो देशी' अब हो अभियान
घाटा करें समाप्त तुरत
लेन-देन हो एक समान
* - दोहा मुक्तक:
आये आकर चले गए, मिटी नहीं तकरार
दिलविहीन दिलवर रहा, बेदिल था दिलदार
समाचार-फोटो कहें, खूब मिले थे हाथ
धन्यवाद ये कह रहे, वे कहते आभार
*
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें