दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु
A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
मंगलवार, 15 जुलाई 2014
दोहा
एक दोहाः संजीव * बसता रूप अरूप में, या अरूप में रूप जो रह्स्य यह जानता, उसका मन हो भूप *
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें