बुधवार, 30 अप्रैल 2014

gazal: rajendra swarnkar

एक ग़ज़ल श्रृंगार की


राजेंद्र स्वर्णकार


1 टिप्पणी:

  1. वाह वाह… .हर शब्द पठनीय हर पंक्ति गुनगुनाने योग्य। बहुत बधाई.

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