सोमवार, 21 अप्रैल 2014

chhand salila: hemant chhand -sanjiv



छंद सलिला:

हेमंत छंद
संजीव
*
छंद-लक्षण: जाति महादैशिक , प्रति चरण मात्रा २० मात्रा, चरणांत गुरु लघु गुरु (रगण), यति बंधन नहीं।

लक्षण छंद:
बीस-बीस दिनों सूर्य दिख नहीं रहा
बदन कँपे गुरु लघु गुरु दिख नहीं रहा
यति भाये गति मन को लग रही सजा
ओढ़ ली रजाई तो आ गया मजा

उदाहरण:
१. रंग से रँग रही झूमकर होलिका
   छिप रही गुटककर भांग की गोलिका
   आयी ऐसी हँसी रुकती ही नहीं
   कौन कैसे कहे क्या गलत, क्या सही?
 
२. देख ऋतुराज को आम बौरा गया
    रूठ गौरा गयीं काल बौरा गया
    काम निष्काम का काम कैसे करे?
    प्रीत को यादकर भीत दौरा गया

 ३.नाद अनहद हुआ, घोर रव था भरा
    ध्वनि तरंगों से बना कण था खरा
    कण से कण मिल नये कण बन छा गये
    भार-द्रव्यमान पा नव कथा गा गये
    सृष्टि रचना हुई, काल-दिशाएँ बनीं
    एक डमरू बजा, एक बाँसुरी बजी
    नभ-धरा मध्य थी वायु सनसनाती
    सूर्य-चंदा सजे, चाँदनी लुभाती
      *********************************************
(अब तक प्रस्तुत छंद: अखण्ड, अग्र, अचल, अचल धृति, अरुण, अहीर, आर्द्रा, आल्हा, इंद्रवज्रा, उपेन्द्रवज्रा, उल्लाला, एकावली, ककुभ, कज्जल, कामिनीमोहन कीर्ति, गंग, घनाक्षरी, चौबोला, चंडिका, छवि, जाया, तांडव, तोमर, दीप, दोधक, नित, निधि, प्रतिभा, प्रदोष, प्रेमा, बाला, भव, मदनअवतार, मधुभार, मधुमालती, मनहरण घनाक्षरी, मनमोहन, मनोरम, मानव, माली, माया, माला, मोहन, योग, ऋद्धि, राजीव, रामा, लीला, वाणी, शक्तिपूजा, शशिवदना, शाला, शास्त्र, शिव, शुभगति, सरस, सार, सिद्धि, सुगति, सुजान, हेमंत, हंसगति, हंसी)
Sanjiv verma 'Salil'
salil.sanjiv@gmail.com
http://divyanarmada.blogspot.in

4 टिप्‍पणियां:

  1. आ. आचार्य जी
    ये प्रविष्टि देख कर लगा कि जाने कितने सुन्दर छंद छूट गए हैं पढ़ने के लिए. आपका ये अथक परिश्रम वन्दनीय है.
    अंतिम छंद बहुत सुन्दर उभर के आया है, नृत्य के तोड़े सा!
    सादर शार्दुला

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  2. आ हा...

    शार्दुला जी

    यह सारस्वत अनुष्ठान आपकी सहभागिता के बिना अपूर्ण था. मुझे तालीय तथा नादीय छंदों की जानकारी लगभग नहीं है. अभी तो लम्बे समय तक मात्रिक-वर्णिक छंदों पर का करना है. तब तक आप कुछ समय निकाल सकने की स्थिति में हो सकेंगी तो तालीय-नादीय छंदों पर आपका मूल्यवान सहयोग पा सकूंगा।

    तोडा और इस तरह की अन्य सांगीतिक बंदिशों की जानकारी मुझे समुचित नहीं हैं. यदि तोड़े के बारे में कुछ बता सकें तो तोडा लिखने का बालकोचित प्रयास अवश्य करूँगा.

    सार्थक प्रतिक्रिया हेतु आभार।

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  3. Kusum Vir ekavita


    आपकी काव्य प्रतिभा और अथक प्रयासों को नमन, आ० आचार्य जी l
    सादर,
    कुसुम

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  4. कुसुम जी आपको हार्दिक धन्यवाद। आप जैसे रुचिवन पाठक ही सृजन की प्रेरणा देते हैं

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