बुधवार, 26 फ़रवरी 2014

dwipadiyan: anjaan -sanjiv

द्विपदियाँ
अनजान 
संजीव
*
अनजान 
दुनिया को जानने की ज़िद करता रहा मगर
मैं अपने आप ही से अनजान रह गया.
*
दंगे-फसाद कर रहे वे जान-बूझकर
मौला भला किया मुझे अनजान ही रखा
*
जानवर अनजान हैं बुराई से 'सलिल'
इंसान जान कर बुराई पालता मिला
*
यूं तो नुमाइंदे हैं वे आम के मगर
हैं आम से अनजान खुद को ख़ास कह रहे
*
अनजान अपने आप से वह शख्स रह गया
जिसने उमर गुज़ार दी औरों की फ़िक्र में
*



1 टिप्पणी:

  1. Mahipal Tomar, yahoogroups.com ekavita


    संजीव जी , ये द्विपदियाँ जोरदार हैं पर किसी किसी में अंतर्विरोध भी है ।
    सादर ,
    महिपाल

    द्विपदियाँ

    अनजान

    संजीव

    *

    अनजान

    दुनिया को जानने की ज़िद करता रहा मगर

    मैं अपने आप ही से अनजान रह गया. ( बढ़िया )

    *

    दंगे-फसाद कर रहे वे जान-बूझकर

    मौला भला किया मुझे अनजान ही रखा ( बढ़िया )

    *

    जानवर अनजान हैं बुराई से 'सलिल'

    इंसान जान कर बुराई पालता मिला (सुन्दर )

    *

    यूं तो नुमाइंदे हैं वे आम के मगर

    हैं आम से अनजान खुद को ख़ास कह रहे

    *

    अनजान अपने आप से वह शख्स रह गया

    जिसने उमर गुज़ार दी औरों की फ़िक्र में (ऐसे औलिया को सलाम )

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