छंद सलिला :
संजीव
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कीर्ति छंद
छंद विधान:
१. मिटा न क्यों दें मतभेद भाई, आओ! मिलाएं हम हाथ आओ
आओ, न जाओ, न उदास ही हो, भाई! दिलों में समभाव भी हो.
२. शराब पीना तज आज प्यारे!, होता नहीं है कुछ लाभ सोचो
माया मिटा नष्ट करे सुकाया, खोता सदा मान, सुनाम भी तो.
३. नसीहतों से दम नाक में है, पीछा छुड़ाएं हम आज कैसे?
कोई बताये कुछ तो तरीका, रोके न टोके परवाज़ ऐसे.
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संजीव
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कीर्ति छंद
छंद विधान:
द्विपदिक, चतुश्चरणिक, मात्रिक कीर्ति छंद इंद्रा वज्रा तथा उपेन्द्र वज्रा के संयोग से बनता है. इसका प्रथम चरण उपेन्द्र वज्रा (जगण तगण जगण दो गुरु / १२१-२२१-१२१-२२) तथा शेष तीन दूसरे, तीसरे और चौथे चरण इंद्रा वज्रा (तगण तगण जगण दो गुरु / २२१-२२१-१२१-२२) इस छंद में ४४ वर्ण तथा ७१ मात्राएँ होती हैं.
उदाहरण:१. मिटा न क्यों दें मतभेद भाई, आओ! मिलाएं हम हाथ आओ
आओ, न जाओ, न उदास ही हो, भाई! दिलों में समभाव भी हो.
२. शराब पीना तज आज प्यारे!, होता नहीं है कुछ लाभ सोचो
माया मिटा नष्ट करे सुकाया, खोता सदा मान, सुनाम भी तो.
३. नसीहतों से दम नाक में है, पीछा छुड़ाएं हम आज कैसे?
कोई बताये कुछ तो तरीका, रोके न टोके परवाज़ ऐसे.
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Monu Gram Pathodi
जवाब देंहटाएंbahut badiya verma sahab
Kusum Vir द्वारा yahoogroups.com
जवाब देंहटाएं// शराब पीना तज आज प्यारे!, होता नहीं है कुछ लाभ सोचो
माया मिटा नष्ट करे सुकाया, खोता सदा मान, सुनाम भी तो.
आदरणीय आचार्य जी,
सद्भावी, परोपकारी एवं प्रेरणास्पद छंद l
काश ! लोग इस बात को समझ पाते l
सादर,
कुसुम वीर
धन्यवाद कुसुम जी
जवाब देंहटाएंछंद तो हमेशा ही लोकहितैषी सन्देश के वाहक होते हैं किन्तु अब उनके चाहनेवाले कम हो गये हैं. कितने छंद ऐसे हैं जिनमें कोई कुछ कहता ही नहीं है. प्रयास है कि छंदप्रेमियों तक वे छंद फिर से पहुँचें।