शनिवार, 26 अक्टूबर 2013

tripadiyan (haiku) sanjiv

त्रिपदियाँ
संजीव
*
परियोजना
अंकुरित पल्लव
लेते आकार.
*
है अभियंता
ब्रम्ह का प्रतिनिधि
भाग्यनियंता
*
बन सकता
कंकर भी शंकर
जड़-चेतन
*
कर प्रयास
श्रम-सीकर बहा
होगा हुलास
*
परिकल्पना
पर्याप्त नहीं, कर
ले संकल्पना
*
तिनके जोड़े
गिरें तब भी पंछी
आस न छोड़े
*
लेता आकार
शिशु और निर्माण
स्वप्न साकार
*
मिटने हेतु
किनारों की दूरियाँ
बनाओ सेतु
*
बना बिजली
जल, लेकिन मत
गिरा बिजली
*
जल अथाह
बाँध लेता है बाँध
भरे न आह
*
हम हैं सिर्फ
प्रस्तोता, दूर कहीं
रचनाकार
*
facebook: sahiyta salila / sanjiv verma 'salil'

4 टिप्‍पणियां:

  1. sn Sharma द्वारा yahoogroups.com
    आ० आचार्य जी
    त्रिपदियाँ और कुण्डली दोनों ही अभूतपूर्व ।
    ढेर सराहना के साथ ,
    सादर
    कमल

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  2. Kusum Vir द्वारा yahoogroups.com

    आदरणीय आचार्य जी,
    बहुत ही सुन्दर एवं सारगर्भित त्रिपदियाँ l
    साधुवाद l
    सादर,
    कुसुम वीर

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  3. - chandawarkarsm@gmail.com

    आदरणीय आचार्य जी,
    अति सुंदर
    आप की त्रिपदियां
    मन मुदित
    *
    अंतिम दोनों
    विशेष मन भाईं
    सत्याधारित
    *
    मुंबई में गिरती इमारतों को देख कर

    हे अभियंता!
    गिरती इमारतें
    भाग्यविधाता :))

    सस्नेह
    सीताराम चंदावरकर

    जवाब देंहटाएं
  4. है अभियंता
    ब्रम्ह का प्रतिनिधि
    भाग्यनियंता (सुंदर त्रिपदियाँ
    शुभ कामनाएँ

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